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कोरोना मरीजों को विदेशी नहीं स्वदेशी दवा लेने की दें सलाह, पंजाब सरकार ने डॉक्टरों को दिया आदेश
Deepa Sahu
3 May 2021 6:04 PM GMT
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कोरोना संक्रमण में विदेशी दवाओं की मारामारी और उनकी कालाबाजारी को देखते हुए
कोरोना संक्रमण में विदेशी दवाओं की मारामारी और उनकी कालाबाजारी को देखते हुए पंजाब सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने सभी सरकारी और गैर-सरकारी चिकित्सकों को संक्रमण में स्वदेशी दवाएं देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि चिकित्सक हर उसी दवा पर फोकस करें जो बाजार में उपलब्ध हो।
पंजाब में 83 प्रतिशत संक्रमित गंभीर मरीज सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। जहां चिकित्सक विदेशी दवाएं लिख रहे हैं, जिनकी बाजार में उपलब्धता नहीं है। परिजन इन्हें महंगी कीमत पर ब्लैक में खरीद रहे हैं। टोसिलिजुमैब इंजेक्शन की कीमत 40500 रुपये निर्धारित है लेकिन बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होने के कारण इसे मरीजों को एक लाख रुपये में भी बेचा जा रहा है। सरकार के पास भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसके बाद सरकार ने यह फैसला लिया है।
सरकार ने निजी व सरकारी चिकित्सकों को आदेश दिया है कि वे इसे मरीजों को लेने की सलाह न दें। इसके स्थान पर वे कारगर स्वदेशी इंजेक्शन और दवाओं (इटोलिजुमैब और डेक्सामेथासोन) को ही प्राथमिकता दें। बाजार में विदेशी इंजेक्शनों के मुकाबले इनकी कीमत कई गुना कम है। स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव हुसन लाल ने बताया कि चिकित्सकों को यह आदेश सरकार ने जारी किया है।
देश में बनने वाले इटोलिजुमैब इंजेक्शन की कीमत मात्र आठ हजार रुपये है। यह संक्रमण में कारगर है। इसके साथ ही 50 पैसे में बाजार में आसानी से उपलब्ध होने वाली डेक्सामेथासोन टेबलेट भी संक्रमण में कारगर है। ये सस्ती दवाएं जन औषधि मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध हो जाएंगी। - रमनीक सिंह बेदी, सलाहकार, वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन, चंडीगढ़।
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