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कोरोना ने शहर-शहर बिछा दीं लाशें, आखिर क्यों खतरनाक हुआ वायरस? कहीं ये वजह तो नहीं

jantaserishta.com
1 May 2021 11:33 AM GMT
कोरोना ने शहर-शहर बिछा दीं लाशें, आखिर क्यों खतरनाक हुआ वायरस? कहीं ये वजह तो नहीं
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कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के तीव्र होने के पीछे चिकित्सा विशेषज्ञ मूलत: दो कारणों को जिम्मेदार मान रहे हैं। पिछली लहर में बड़े पैमाने पर लोगों का कोरोना से सामना हुआ था और कई जगह 60 फीसदी तक लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई थी, जो नए संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक का कार्य करती हैं, लेकिन या तो समय के साथ ये एंटीबॉडीज नष्ट हो गईं हैं या फिर नए वायरस के खिलाफ कार्य नहीं कर रही हैं।

नई दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के निदेशक प्रोफेसर एन. एन. माथुर ने 'हिन्दुस्तान' से विशेष बातचीत में कहा कि यह सच है कि दिल्ली समेत कई राज्यों में सीरो सर्वेक्षण के दौरान बड़े पैमाने पर एंटीबॉडीज पाई गईं थीं। लेकिन इसके बावजूद कोरोना का बुरी तरह से संक्रमण यह दर्शाता है कि छह महीने पूर्व लोगों में बनी एंटीबॉडीज कमजोर पड़ चुकी हैं या खत्म हो चुकी हैं। दूसरा कारण यह हो सकता है कि वायरस के नए स्वरूप को यह पहचान नहीं पा रही हैं, इसलिए उसके संक्रमण को रोक नहीं पा रही हैं। इस पर गहन अध्ययन किए जाने की जरूरत है जिससे सही कारण सामने आएगा।
बता दें कि पहली लहर में बड़े पैमाने पर लोगों के संक्रमित होने के बाद दूसरी लहर के हल्के रहने के अनुमान थे। लेकिन दूसरी लहर में कोरोना के दो नए प्रकार यूके वैरिएंट और डबल म्यूटेशन वाला इंडियन वरिएंट जिम्मेदार पाया गया है जिससे संक्रमण तेज हुआ है। उन्होंने कहा कि यह कहना ठीक नहीं होगा कि इस बार बहुत ज्यादा लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। यह समस्या पिछली लहर में भी थी। लेकिन तब मरीजों की संख्या कम थी। इसी प्रकार वेंटीलेटर पर भर्ती होने वाले मरीजों के प्रतिशत में भी कोई बदलाव हमें नहीं दिखा है। बीमारी के लक्षण भी पहले जैसे ही हैं। सिर्फ फैलाव तेज है। उन्होंने कहा कि संक्रमण के बाद वायरस जब फेफड़ों में घुसता है तो यह फेफ़ड़े में ऑक्सीजन का प्रवाह करने वाली झिल्ली के कार्य को बाधित करता है जिसके कारण कृत्रिम ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है।
डा. माथुर ने कहा कि युवा आबादी की ज्यादा सक्रियता की वजह से उनमें संक्रमण बढ़ा है चूंकि इस लहर के दौरान सभी गतिविधियां सामान्य रूप से चल रही थी इसलिए युवा आबादी ज्यादा संक्रिमत हुई है। दूसरे संक्रमण के कुल मामले ज्यादा होने से भी उसमें युवा आबादी की कुल संख्या बढ़ गई है। लेकिन ऐसा नहीं था कि पिछली बार युवा लोगों को संक्रमण कम हो रहा था, इस बार ज्यादा। माथुर दो बातें साफ कहते हैं, एक वायरस के हवा में फैलने का तात्पर्य यह नहीं है कि घर से बाहर निकलकर हवा में सांस लेंगे तो बीमारी हो जाएगी। घर या ऑफिस में यदि कोई कोरोना मरीज है तो बंद हवा में वायरस दूसरे को फैल सकता है। जबकि पहले सिर्फ नजदीकी संपर्क में आने से ही फैलता था। इसलिए जो लोग सुबह की सैर करते हैं, वह इससे डरें नहीं। उन्होंने कहा कि होम आइसोलेशन में उपचार करा रहे मरीजों को भी स्वस्थ होने के बाद डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर कुछ आवश्यक जांचें भी करानी चाहिए।


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