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कोरोना की मार: लॉकडाउन में चली गई बाप की नौकरी, बेटे के साथ मिलकर बेच रहे मास्क

jantaserishta.com
1 Jun 2021 11:40 AM GMT
कोरोना की मार: लॉकडाउन में चली गई बाप की नौकरी, बेटे के साथ मिलकर बेच रहे मास्क
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कोरोना संकट में न जाने कितने परिवार मुसीबत में हैं. संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन लगाना तो सरकार की मजबूरी बनी लेकिन इस लॉकडाउन ने कई लोगों का रोजगार भी छीन लिया. ऐसी ही एक कहानी है भोपाल के रहने वाले भूपेंद्र की. भूपेंद्र लॉकडाउन से पहले रेस्टोरेंट में जॉब करते थे, पर सख्त पाबंदियों ने रेस्टोरेंट बंद कराया तो भूपेंद्र को नौकरी से हाथ धोना पड़ा.

अब भूपेंद्र सुबह से निकल पड़ते हैं दो जून की रोटी कमाने. हर सुबह साइकिल पर झोला टांगकर भूपेंद्र घर से करीब 2 किलोमीटर दूर तक साइकिल पैदल लेकर जाते हैं. वे लिंक रोड पर साइकिल लगाकर मास्क बेचते हैं. पूछने पर बताते हैं कि घर पर 4 बच्चे हैं और हम पति-पत्नी. नौकरी गई तो घर चलाने के लिए कर्जा लेना पड़ा और अब कर्जा देने वाले रुपए वापस मांग रहे हैं. नौकरी तो है नहीं लेकिन, जिससे पैसा लिया है उसको तो देना ही है, इसलिए मास्क बेचना शुरू किया है.
भूपेंद्र को इस बात की भी मलाल है कि उनका बड़ा बेटा पढ़ने में अच्छा है लेकिन बेरोजगारी के चलते उसे भी उन्हे सड़क पर मास्क बेचने के काम पर लगाना पड़ा है. भूपेंद्र ने बताया कि अगर 2 लोग मिलकर 200-200 रुपए बचाएंगे तो थोड़ी मदद मिल सकेगी. इसलिए बड़े बेटे को भी मास्क बेचने में लगा दिया है.
'पढ़ाई छोड़ बेचना पड़ रहा है मास्क'
भूपेंद्र का बेटा सनी भोपाल के लिंक रोड पर ही दूसरी जगह साइकिल लगाकर मास्क बेचता है. सनी अब 12वीं में जाने वाला है लेकिन घर की स्थिति बिगड़ते देख अपने पिता का हाथ बंटाने और मास्क बेचने पर मजबूर है. सनी बताता है कि मास्क तो सिर्फ उसके पिता ने पहले बेचना शुरू किया था लेकिन उनसे होने वाली कमाई से घर का खर्चा नहीं निकल रहा था, लिहाजा अपने पिता के कहने पर उसने भी मास्क बेचना शुरू किया.
दोनों मिलकर रोज के करीब 20-25 मास्क बेच देते हैं, इससे घर चलाने में थोड़ी आसानी होती है. सनी के मुताबिक दोनों अलग-अलग जगहों पर सुबह 8 बजे से लेकर शाम के 7 बजे तक खड़े होते हैं और मास्क बेचते हैं.
बहरहाल भूपेंद्र जैसे हजारों लोग हैं, जिनका रोजगार लॉकडाउन ने छीन लिया. हालांकि संक्रमण को रोकने का यह कारगर उपाय तो है लेकिन अब सरकारों को इस ओर भी ध्यान देना होगा कि संक्रमण को रोकने की उसकी यह कोशिश घरों के चूल्हों पर संकट ना लाने पाए. उम्मीद है मध्य प्रदेश में लॉकडाउन खुलने के बाद भूपेंद्र को फिर नौकरी मिले और उसे मास्क बेचने पर खुद को या बेटे को मजबूर ना होना पड़े.
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