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इन बिगड़ती परिस्थितियों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुना दिया है.
केरल में कोरोना की स्थिति हर बीतते दिन के साथ बद से बदतर होती जा रही है. रोज के तीस हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं. इन बिगड़ती परिस्थितियों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुना दिया है. उनकी तरफ से 11वीं की प्रत्यक्ष परीक्षा पर रोक लगा दी गई है.
कोर्ट ने कहा कि राज्य में कोविड संक्रमण की स्थिति लगातार भयावह हो रही है ऐसे में फिजिकल तौर पर परीक्षा से छात्र और खतरे में आएंगे.सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस खानविलकर और जस्टिस हृषिकेश रॉय ने कहा कि जब स्थिति खराब है तो ऐसा जोखिम लेने की ज़रूरत क्या है? जस्टिस राय ने यहां तक कह दिया कि मैं तो केरल हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस रहा हूं तो मुझे पता है कि केरल में बेहतरीन मेडिकल सुविधाएं हैं. लेकिन इसके बावजूद वहां संक्रमण के बढ़ते आंकड़े हैरान करने वाले हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि पहले केरल में 11वीं की परीक्षाएं 5 सितंबर से शुरू होने जा रही थीं. इन्हें एक हफ्ते तक चलना था. लेकिन अब जब कोरोना की स्थिति भयावह हो गई है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से परीक्षाओं को एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया गया है. कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की है कि केरल सरकार द्वारा वर्तमान स्थिति को गंभीरता ते नहीं लिया जा रहा है. कहा गया है कि रोज के 35 हजार मामले आ रहे हैं, लेकिन फिर भी इतना बड़ा जोखिम लिया जा रहा है.
सुनवाई के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल कर लिया कि क्या आप ये दावा कर सकते हैं कि परीक्षा के दौरान कोई भी छात्र कोरोना से संक्रमित नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि अगर आप हमे आश्वासन देंगे और उसके बाद कोई भी ऐसा मामला आया तो आप उसके जिम्मेदार रहेंगे.
कोर्ट की इस तल्ख टिप्पणी के बाद राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि वे ऐसा कोई भी आश्वासन नहीं करने वाले हैं. ये सुन कोर्ट ने 11वीं की प्रत्यक्ष परीक्षा पर रोक लगा दी. तर्क दिया गया कि राज्य में जब कोरोना की स्थिति इतनी खतरनाक है, ऐसे में ऐसी परीक्षाएं सुपर स्प्रेडर बनने का भी काम कर सकती हैं.
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