कोरोना महामारी: पैसे में अभाव में हाइब्रिड सुनवाई के लिए बुनियादी ढांचा न बनाने पर हाईकोर्ट गंभीर
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उच्च न्यायालय ने निचली अदालतों और अर्ध-न्यायिक निकायों में हाइब्रिड सुनवाई के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित करने के प्रस्ताव को खर्च के आधार परपूरा न करने को गंभीरता से लिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि पैसे की कमी है तो अदालत वह वर्ष 2020 से सब्सिडी और विज्ञापन पर खर्च की जांच करेंगे। अदालत ने कहा अभी कोरोना महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और प्रौद्योगिकी को अपनाने की जरूरत है क्योंकि नागरिकों को न्याय से वंचित नहीं किया जा सकता है और परियोजना पर किए गए खर्च को आवश्यक माना जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार को इस हाइब्रिड सिस्टम के उद्देश्य के लिए उचित बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए त्वरित कदम उठाने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा संबंधित अथॉरिटी सब्सिडी और विज्ञापनों पर भारी पैसा खर्च करते हैं लेकिन जरूरी हाइब्रिड के लिए पैसे का अभाव बताया जा रहा है।
पीठ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा हम नहीं चाहते कि सिस्टम शटल कॉक की तरह घूमे, हमें सिस्टम चाहिए। अदालतें उचित सुनवाई न होने का सामना नहीं कर पा रही हैं। आप इसे फिजूल की एक्सरसाइज न समझें। महामारी अभी खत्म नहीं हुई है, आप खर्च को प्राथमिकता दें। यह फिजूलखर्ची या मनोरंजन खर्च नहीं है। यह विलासिता के लिए नहीं है, यह नितांत आवश्यक है।
पीठ अनिल कुमार हजले और मनश्वी झा वकील की दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। याचिका में कोविड-19 खतरे के मद्देनजर फिलजिकल सुनवाई के दिनों में भी जिला अदालतों में हाइब्रिड सुनवाई करने की मांग की गई है।
उच्च न्यायालय ने इससे पहले दिल्ली सरकार से हाइब्रिड सुनवाई के लिए अधीनस्थ अदालतों को बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए उठाए गए कदमों पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था।
हाईकोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि 27 अगस्त की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के कानून, वित्त और खाद्य और आपूर्ति विभाग के प्रधान सचिव के उपस्थित होने के बावजूद पूरी स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं की गई।
दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि जिला अदालतों के लिए हाइब्रिड सुनवाई और राउटर खरीद के लिए 227 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च के साथ एक प्रस्ताव भेजा गया है और 12 करोड़ रुपये से अधिक मौजूदा प्रणाली के सुधार के लिए है।
पीठ ने कहा हमने अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया है और सरकार को भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि ऐसे मामलों में कोई देरी नहीं होनी चाहिए, न्याय तक पहुंच एक अधिकार है जो सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है और चल रही महामारी ने इसे गंभीर रूप से बाधित किया है।
अदालत ने कहा बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं की कमी के कारण जिला अदालतों के साथ-साथ उपभोक्ता फोरम, अदालत कुशलतापूर्वक काम नहीं कर पा रहे हैं और बकाया मामले बढ़ रहे हैं और लोगों को अपनी शिकायतों के निवारण के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
पीठ ने कहा कि ऐसी कोई वैज्ञानिक रिपोर्ट नहीं है कि हम जल्द ही चल रही महामारी से मुक्त हो जाएंगे। यह लंबी अवधि के लिए हैं और अदालतों के पूर्ण रुप से फिजिकल कामकाज को फिर से शुरू करने में सक्षम होने से पहले ऑनलाइन मोड के माध्यम से मामलों की सुनवाई अनिश्चित काल के लिए करनी पड़ सकती है।