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भारत में जारी है कोरोना का कहर, 24 घंटे के अंदर 3800 से ज्यादा मौतें, नए मामले फिर 2 लाख पार, देखें पूरा ग्राफ
jantaserishta.com
27 May 2021 4:10 AM GMT
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नई दिल्ली: भारत कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जबरदस्त तरीके से जूझ रहा है. हालांकि आंकड़े बता रहे हैं कि संक्रमण का प्रकोप पहले से कम हुआ है लेकिन मौत का तांडव थम नहीं रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 2 लाख 11 हजार 298 नए कोरोना केस आए और 3847 संक्रमितों की जान चली गई है. वहीं 2 लाख 83 हजार 135 लोग कोरोना से ठीक भी हुए हैं. यानी कि बीते दिन 75,684 एक्टिव केस कम हो गए. इससे पहले मंगलवार को 208,921 लाख नए केस दर्ज किए गए थे और 4157 संक्रमितों की मौत हुई थी.
26 मई तक देशभर में 20 करोड़ 26 लाख 95 हजार 874 कोरोना वैक्सीन के डोज दिए जा चुके हैं. बीते दिन 18 लाख 85 हजार 805 टीके लगाए गए. वहीं अबतक 33 करोड़ 70 लाख से ज्यादा कोरोना टेस्ट किए जा चुके हैं. बीते दिन करीब 22 लाख कोरोना सैंपल टेस्ट किए गए, जिसका पॉजिटिविटी रेट 9 फीसदी से ज्यादा है.
देश में आज कोरोना की ताजा स्थिति-
कुल कोरोना केस- दो करोड़ 73 लाख 69 हजार
कुल डिस्चार्ज- दो करोड़ 46 लाख 33 हजार 951
कुल एक्टिव केस- 24 लाख 19 हजार 907
कुल मौत- 3 लाख 15 हजार 235
देश में कोरोना से मृत्यु दर 1.15 फीसदी है जबकि रिकवरी रेट 89 फीसदी से ज्यादा है. एक्टिव केस घटकर 10 फीसदी से कम हो गए हैं. कोरोना एक्टिव केस मामले में दुनिया में भारत का दूसरा स्थान है. कुल संक्रमितों की संख्या के मामले में भी भारत का दूसरा स्थान है. जबकि दुनिया में अमेरिका, ब्राजील के बाद सबसे ज्यादा मौत भारत में हुई है.
कोरोना पर साइंस जर्नल लांसेट ने केंद्र और राज्यों को दिए 8 सुझाव
कोरोना से प्रभावी तरीके से निपटने और मौत रोकने के लिए साइंस जनरल लांसेट के विशेषज्ञों के एक समूह ने केंद्र और राज्य सरकारों को आठ सुझाव भेजे हैं. साइंस जनरल लांसेट ने वैक्सीन की खरीद और बंटवारे के लिए मोदी सरकार को केंद्रीय प्रणाली बनाने की सलाह दी है.
ब्रिटिश चिकित्सा पत्रिका 'लांसेट' में प्रकाशित एक आलेख में विशेषज्ञों ने केंद्र और राज्य सरकारों को तत्काल कदम उठाने की सिफारिश की है. आठ सिफारिशों में राज्य द्वारा पारदर्शी मूल्य नीति और अनौचारिक क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों के लिए नकदी हस्तांतरण के उपाय भी शामिल हैं. टीकों की खरीद और निशुल्क वितरण, राज्य सरकारों के जरिए विकेंद्रीकृत खरीद की मौजूदा नीति खत्म करने के सुझाव भी हैं.
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