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वायरस बिग ब्रेकिंग: भयावह तस्वीरों को देख सहम गए, लेकिन अब वैज्ञानिक ने किया ऐसा खुलासा चौंक गए लोग
jantaserishta.com
28 Dec 2022 7:15 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
कोरोना का कहर.
नई दिल्ली: चीन में कोरोना अपना विकराल रूप ले चुका है. लाखों केस रोजाना आ रहे हैं, हॉस्पिटल्स में मरीजों के लिए जगह नहीं है, दवाइयों की कमी हो चुकी है और चारों ओर तबाही मच रही है. चीन के बाद अब दूसरे देशों को भी चिंता सताने लगी है कि उनके यहां चीन जैसी स्थिति पैदा ना हो. इसके लिए सभी देशों ने उचित प्रबंध कर लिए हैं और दिशा निर्देश लागू कर दिए हैं. भारत की बात करें तो यहां भी कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं और वैरिएंट BF.7 भी पहले ही देश में दस्तक दे चुका है. हालांकि, दुनिया भर में मचे हाहाकार के बीच जर्मन वायरोलॉजिस्ट क्रिश्चियन ड्रोस्टन (Christian Drosten) ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया है कि कोरोना महामारी अब खत्म होने वाली है.
बर्लिन के चेरिटे यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में वायरोलॉजी के हेड क्रिश्चियन ड्रोस्टन ने कोरोना महामारी को लेकर कहा, "COVID-19 महामारी को खत्म माना जा सकता है क्योंकि अब ये एंडेमिक की तरफ बढ़ चुकी है. इसका मतलब है कि कोविड बाकी बीमारियों की तरह मौजूद तो रहेगा लेकिन बहुत सीमित क्षेत्र में और कम खतरनाक रूप में. जैसे-जैसे वायरस से बचाव के तरीके इजाद होते रहते हैं, वह वायरस इतना घातक नहीं रहता और इतना नुकसानदायक भी नहीं रहता, जितना शुरू में होता है."
वायरोलॉजिस्ट क्रिश्चियन आगे कहते हैं, "हम इस सर्दी में कोरोना की पहली एंडेमिक लहर का अंदाजा लगा रहे हैं. मेरे अनुमान में यह महामारी खत्म हो चुकी है. सर्दियों का मौसम खत्म होने के बाद लोगों की इम्यूनिटी इतनी मजबूत हो एगी कि गर्मियों में वायरस के हावी होने की संभावना कम हो जाएगी."
जर्मनी की कोविड-19 एक्सपर्ट काउंसिल के मेंबर और वायरोलॉजिस्ट क्रिश्चियन ने यह भी कहा कि सर्दी के बाद महामारी लगभग खत्म हो जाएगी लेकिन एक या दो कम घातक लहर आने वाले समय में आ सकती हैं.
वायरोलॉजिस्ट क्रिश्चियन ने कहा, "जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों में वैक्सीनेशन काफी बड़े स्तर पर हुआ है और यही महामारी के अंत का कारण बना. चीन में वैक्सीनेशन नहीं हुआ तो वहां पर कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. अगर कोई उपाय नहीं किए गए होते तो जर्मनी में 2021 में फैलने वाले डेल्टा वैरिएंट से एक लाख के ऊपर मौतें होतीं.
कुछ महीने पहले हुई एक समिट में एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा था, "बीते कई सालों में तमाम वायरस हमला कर चुके हैं. 1995 में बर्ड फ्लू ने दस्तक दी जिसकी मृत्युदर 60 प्रतिशत थी लेकिन उस पर भी काबू पाया गया. इसके बाद इबोला, जीका, सार्स, एचवन एनवन जैसे वायरस भी आए. सबसे बड़ा चैलेंज ये है कि कैसे हमें इसी वायरस के साथ रहना है? यह वायरस खत्म नहीं होगा, यहीं रहेगा. हमें इस वायरल इंफेक्शन के साथ ही रहना होगा. हम जिस तरह वैक्सीनेशन और इम्यूनिटी डवेलप कर रहे हैं, उससे ये अंदाजा जरूर लगा सकते हैं कि आने वाले दिनों में ये पेनडेमिक से एंडेमिक बन जाएगा.
अपोलो हॉस्पिटल की एमडी डॉ. संगीता रेड्डी (Dr. Sangita Reddy) के मुताबिक, "भारत में कोविड वैक्सीनेशन अभियान और इफेक्टिव वैक्सीन को देखते हुए चीन में कोविड-19 के बढ़ते मामलों से बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. हमें चीन से आने वाली फ्लाइट्स के संबंध में नीतियों पर तुरंत काम करना चाहिए. चीन में फैला वर्तमान COVID न केवल चीन के लिए एक दुखद त्रासदी है, बल्कि वैश्विक आबादी को भी बड़े जोखिम में डाल सकता है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सर्दियां भी चल रही हैं तो कुछ मामलों में सर्दी, फ्लू और कोरोना के लक्षण समान हो सकते हैं. कई लोग पांच दिन बाद भी दूसरों में संक्रमण नहीं फैलाते लेकिन कुछ लोग संक्रमित होने के 10 दिन बाद तक संक्रमण फैला सकते हैं इसलिए जिन लोगों को कोई लक्षण नजर आ रहे हैं उन्हें अनदेखा करने की जगह पांच दिन तक अन्य लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए और कम से कम 10 दिनों तक बुजुर्ग-बच्चों या बीमार लोगों से मिलने से बचना चाहिए.
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