CORBEVAX को COVID-19 बूस्टर डोज के रूप में DCGI की मिली मंजूरी
दिल्ली। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कॉर्बेवैक्स वैक्सीन (Corbevax Vaccine) को बूस्टर डोज के रूप में इस्तेमाल की मंजूरी दी है. बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड ने इसकी जानकारी दी है. इस तरह बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड (Biological E Limited) की कॉर्बेवैक्स भारत की पहली कोविड-19 वैक्सीन बन गई है, जिसे DCGI ने 'हेट्रोलोगस' कोविड-19 बूस्टर डोज के रूप में मंजूरी दी है. दरअसस, इसका मतलब ये हुआ कि जो लोग कोविशील्ड या कोवैक्सीन (Corbevax Vaccine as Booster Dose) की दोनों डोज लेने के बाद फुली वैक्सीनेटेड हैं. वे अब कॉर्बेवैक्स वैक्सीन को बूस्टर डोज या तीसरी डोज के तौर पर ले सकते हैं. वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने के छह महीने बाद लोग कॉर्बेवैक्स वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर लगवा सकते हैं. बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड की मैनेजिंग डायरेक्टर महिमा डाल्टा ने कहा, 'हम लोग इस मंजूरी से खुश हैं. ये भारत में कोविड-19 बूस्टर डोज की जरूरत को पूरा करेगा. हमने अपनी कोविड-19 वैक्सीनेशन यात्रा में एक और मील का पत्थर पार कर लिया है. ये मंजूरी एक बार फिर विश्व स्तर के सतत सुरक्षा मानकों और कॉर्बेवैक्स की उच्च प्रतिरक्षण क्षमता को दर्शाती है.' देश में कोविड वैक्सीनेशन अभियान तेजी से चल रहा है. अभी तक 190 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज लोगों को लगाई जा चुका है. अब देश में बूस्टर डोज भी लग रही है.
हाल ही में बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड ने DCGI को अपना क्लिनिकल ट्रायल डाटा सौंपा था. DCGI ने सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी के साथ इसका विस्तृत तरीके से मूल्यांकन और विचार-विमर्श किया. इसके बाद कोविशिल्ड या कोवैक्सिन की दो डोज पहले ही ले चुके लोगों को एक 'हेट्रोलोगस' बूस्टर डोज के रूप में कॉर्बेवैक्स वैक्सीन को लगवाने के लिए अपनी मंजूरी दी. क्लिनिकल ट्रायल डाटा से पता चला है कि कॉर्बेवैक्स बूस्टर डोज लगने के बाद इम्यून रिस्पांस में इजाफा होता है और ये लोगों के लिए सुरक्षित है. कंपनी ने 18 से 80 वर्ष की आयु के 416 सब्जेक्ट पर ट्रायल किया था.