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घमासान: कांग्रेस नेताओं का क्यों हो रहा पार्टी से मोहभंग? हार्दिक पटेल के तीन साल में ही बदल गए सुर

Kajal Dubey
15 April 2022 5:53 AM GMT
घमासान: कांग्रेस नेताओं का क्यों हो रहा पार्टी से मोहभंग? हार्दिक पटेल के तीन साल में ही बदल गए सुर
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नई दिल्ली: गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का सियासी संकट कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है. कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष जगदीश ठाकोर जितना मजबूत करने की कोशिश करते हैं, उतना ही बिखराव होता दिख रहा है. कांग्रेस के तीन पूर्व विधायकों ने पार्टी को अलविदा कहा तो हार्दिक पटेल ने बगावती तेवर अख्तियार कर रखा है. हार्दिक जिस तरह से अपनी पीढ़ा बयां करते हुए प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं, उससे लगता है कि वह कांग्रेस छोड़कर दूसरे दल में जाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं.

गुजरात कांग्रेस के दो पूर्व विधायक इंद्रनील राज्यगुरु और वशराम सोगठिया गुरुवार को आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं, जिन्हें पार्टी के संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सदस्यता दिलाई है. वहीं, कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रवीण मारू ने बीजेपी का दामन थाम लिया जबकि पूर्व विधायक कामिनी राठौड ने भी खुलकर कांग्रेस से नाराजगी जाहिर कर दी है. वहीं, कांग्रेस के 2017 में जीते 16 विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, जो पार्टी के लिए बड़ा झटका है. इस लिस्ट में अल्पेश ठाकोर का नाम भी शामिल है, जो पिछले चुनाव में कांग्रेस में आए थे और उन्हें पार्टी में राष्ट्रीय सचिव बनाया गया था.
कांग्रेस के पूर्व विधायकों के पार्टी छोड़ने के बीच पाटीदार आरक्षण आंदोलन से अपनी पहचान बनाने वाले गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में आरोप लगाया कि पार्टी का प्रदेश नेतृत्व उन्हें परेशान कर रहा है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को अपनी इस स्थिति के बारे में कई बार अवगत भी कराया गया, लेकिन दुख की बात है कि कोई निर्णय नहीं हुआ. साथ ही हार्दिक ने कहा कि कांग्रेस में मेरी स्थिति एक नए नवेले दूल्हे की है, जिसकी नसबंदी करा दी गई है.
हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ने के सवाल पर कहा कि मैं किसी दूसरी पार्टी में नहीं जाना चाहता, लेकिन गुजरात कांग्रेस में जो मजबूत नेता होते हैं, उनको परेशान किया जाता है ताकि वो पार्टी छोड़कर चले जाएं. साथ ही कहा कि गुजरात कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि मैं पार्टी छोड़ दूं.
अल्पेश ठाकोर कांग्रेस छोड़कर गए तो उनका स्वार्थ बताया गया, लेकिन सच्चाई है कि पार्टी में उनको इतना परेशान किया गया कि वो छोड़कर चले गए. उन्होंने कहा कि गुजरात में कांग्रेस की सरकार नहीं बनने के लिए अंदरूनी गुटबाजी और स्थानीय कांग्रेस नेताओं की दूसरे दलों के साथ 'गुप्त गठबंधन' जिम्मेदार है.
हार्दिक पटेल के बगावती रुख के बाद साफ है कि अब वो कांग्रेस में बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं रहने वाले हैं, क्योंकि उन्होंने प्रदेश नेतृत्व से लेकर राहुल गांधी तक पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हार्दिक ने कहा है कि कांग्रेस उनकी शक्ति का उपयोग नहीं कर पाई. इससे साफ है कि हार्दिक गुजरात चुनाव से पहले अपने सियासी भविष्य को लेकर कदम बढ़ा सकते हैं, लेकिन वो किस पार्टी में जाएंगे ये तस्वीर अबी साफ नहीं होती दिख रही.
हालांकि, आम आदमी पार्टी गुजरात चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरने की तैयारी में है, जिसके लिए वह कांग्रेस के रूठे नेताओं को साथ जोड़ने की मुहिम में लगी हुई है.
पाटीदार नेता और खोडलधाम ट्रस्ट के प्रमुख नरेश पटेल के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं काफी समय से हो रही है, पर अभी तक उनकी एंट्री नहीं हो पाई है. हार्दिक ने कहा कि कांग्रेस को नरेश पटेल को लेकर अपनी स्थिति साफ करनी चाहिए कि उनको क्या उचित स्थान देकर उनसे क्या काम लेना चाहती है. नरेश पटेल बहुत मजबूत पाटीदार नेता हैं और सौराष्ट्र की 35 से अधिक सीटों पर उनका प्रभाव है. नरेश लेउआ पटेल समुदाय से आते हैं, जिसकी आबादी अच्छी खासी है. इसके अलावा नरेश पटेल खोडलधाम ट्रस्ट के मुखिया है, जो पाटीदार समुदाय का संगठन है. पिछले दिनों नरेश पटेल ने प्रशांत किशोर के साथ राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात की थी, लेकिन अभी तक कांग्रेस ने अभी तक साफ नहीं किया कि वो पार्टी में शामिल हो रहे हैं कि नहीं?
गुजरात में कांग्रेस के लिए बीजेपी से ज्यादा आम आदमी पार्टी चुनौती बनती जा रही है. पंजाब की तर्ज पर गुजरात में कांग्रेस के नाराज नेताओं का सियासी ठिकाना आम आदमी पार्टी बन रही है. कांग्रेस के पूर्व विधायक इंद्रनील राज्यगुरु और वशराम सोगठिया ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं.
बता दें कि अभी तक गुजरात में कांग्रेस और बीजेपी दो दल होने के चलते नाराज नेताओं के लिए कोई सियासी विकल्प नहीं था, लेकिन निकाय चुनाव के बाद तीसरी ताकत के तौर पर उभरी है, जिसके चलते अब नाराज नेताओं के लिए एक विकल्प मिल गया है. वहीं, आम आदमी पार्टी भी गुजरात में मजबूती से खड़े होने के लिए दूसरे दलों के नेताओं को मिलाना शुरू कर दिया है, जिसका सबसे ज्यादा झटका कांग्रेस को लग रहा.


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