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महिला IAS के ट्वीट पर विवाद, मंदिर में बजने वाले लाउडस्पीकर पर सवाल उठाने की वजह से चर्चा में

jantaserishta.com
22 Oct 2024 5:07 AM GMT
महिला IAS के ट्वीट पर विवाद, मंदिर में बजने वाले लाउडस्पीकर पर सवाल उठाने की वजह से चर्चा में
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हिंदू संगठनों ने बयान का विरोध किया.
भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार की चर्चित आईएएस अधिकारी शैलबाला मार्टिन एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. शैलबाला मार्टिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मंदिरों में लगे लाउडस्पीकर को लेकर सवाल उठाए हैं, जिसके बाद विवाद शुरू हो गया है. हिंदू संगठनों ने बयान का विरोध किया है तो वहीं कांग्रेस ने इसे वाजिब सवाल बताया है.
दरअसल, शैलबाला मार्टिन ने X पर लिखा है कि मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर कई गलियों दूर तक स्पीकर्स के जरिए ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि ये स्पीकर्स आधी-आधी रात तक बजते हैं, उनसे किसी को डिस्टरबेंस नहीं होता. उन्होंने यह पोस्ट एक दूसरी पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए लिखी थी, जिसके बाद हिंदूवादी संगठन संस्कृति बचाव मंच ने इसपर नाराजगी जताई.
एक यूजर के कमेंट पर IAS शैलबाला ने रिप्लाई भी किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि माननीय मुख्यमंत्री ने शपथ लेने के साथ ही जो आदेश जारी किए थे, उनमें समस्त धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर्स हटाने और डीजे पर प्रतिबंध शामिल था. ये बहुत सुविचारित आदेश था. यदि इस आदेश पर अमल करते हुए सभी समुदायों के धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर्स हटा दिए जाएं और डीजे बंद हो जाए तो सभी के लिए बड़ी राहत होगी.
संस्कृति बचाव मंच के अध्यक्ष पंडित चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि हिंदू धर्म की आस्था को कोई ठेस पहुंचाने का काम करेगा तो संस्कृति बचाव मंच उसका विरोध करेगा. मंदिरों में सुरीली आवाज में आरती और मंत्रों का उच्चारण होता है ना कि दिन में 5 बार लाउडस्पीकर पर अजान की तरह बोला जाता है. मेरा शैलबाला मार्टिन जी से सवाल है कि उन्होंने कब किसी मोहर्रम के जुलूस पर पथराव होते हुए देखा? जबकि हिन्दुओं के जुलूस पर पथराव हो रहा है और इसलिए मार्टिन मैडम आपको हिंदू धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई अधिकार नहीं है.
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हफीज ने शैलबाला मार्टिन का समर्थन करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार में लाउडस्पीकर पर कार्रवाई राजनीति से प्रेरित होती है. अगर धर्म देखकर लाउडस्पीकर पर कार्रवाई होगी तो एमपी के प्रशासनिक अफसर इस पर बोलने के लिए मजबूर हैं.
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