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India Gate का नाम बदलने के प्रस्ताव पर विवाद: मौलाना जावेद हैदर जैदी ने जताई नाराजगी
Shantanu Roy
6 Jan 2025 6:45 PM GMT
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Lucknow. लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (BJP) अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी द्वारा 'इंडिया गेट' का नाम बदलकर 'भारत माता द्वार' करने की मांग को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। जहां इस प्रस्ताव को कुछ वर्गों से समर्थन मिल रहा है, वहीं कई बुद्धिजीवी, इतिहासकार और धार्मिक नेता इस पर आपत्ति जता रहे हैं। प्रमुख इस्लामी विद्वान मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी ने इस प्रस्ताव को गैर-जरूरी और ऐतिहासिक धरोहर के साथ छेड़छाड़ करार दिया है।
मौलाना ज़ैदी ने क्या कहा?
मौलाना जावेद हैदर जैदी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "इंडिया गेट केवल एक स्मारक नहीं है, यह हमारे इतिहास और शहीदों के बलिदान का प्रतीक है। इसे 'भारत माता द्वार' नाम देना न केवल इसकी ऐतिहासिकता को कमजोर करेगा, बल्कि यह एक राजनीतिक कदम प्रतीत होता है। हमें अपने ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा करनी चाहिए, न कि उन्हें बदलने की कोशिश करनी चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "शहीदों का सम्मान केवल नाम बदलने से नहीं होता। हमें उनके बलिदानों की विरासत को संरक्षित करने और नई पीढ़ी को उनके संघर्ष की प्रेरणा देने की जरूरत है। यह प्रस्ताव चुनावी राजनीति का हिस्सा लगता है, जिसका असली मकसद जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाना है।"
ऐतिहासिक महत्व और नाम बदलने पर बहस
इंडिया गेट, जो 1921 में प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्धों में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के सम्मान में बनाया गया था, स्वतंत्रता के बाद से भारतीय शहीदों का भी प्रतीक बन गया। यह स्मारक राष्ट्रीय एकता और बलिदान का अद्वितीय प्रतीक है। नाम बदलने के प्रस्ताव ने एक बार फिर देश में ऐतिहासिक स्थलों के महत्व और उनकी पहचान को लेकर बहस छेड़ दी है। कई इतिहासकारों का कहना है कि नाम बदलने की प्रवृत्ति ऐतिहासिक तथ्यों और धरोहरों को कमजोर करती है। उनके अनुसार, 'इंडिया गेट' न केवल इतिहास का हिस्सा है, बल्कि यह देश की विविधता और एकता का प्रतिनिधित्व करता है।
चुनाव से पहले राजनीतिक रणनीति?
विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी विधानसभा चुनावों से पहले अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदायों के बीच राजनीतिक समीकरण साधने का प्रयास हो सकता है। मौलाना जावेद हैदर जैदी ने इस संदर्भ में कहा, "देश की असली समस्याएं बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य हैं। नाम बदलने जैसे मुद्दे केवल जनता का ध्यान भटकाने के लिए उठाए जाते हैं। सरकार को इन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।"
जनता की प्रतिक्रिया
इस प्रस्ताव को लेकर जनता की भी मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ लोग इसे राष्ट्रवाद का प्रतीक मानते हैं, जबकि अन्य इसे ऐतिहासिक धरोहर के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ कहते हैं। इंडिया गेट का नाम बदलने का प्रस्ताव एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि क्या ऐतिहासिक स्थलों को वर्तमान राजनीति के हिसाब से बदला जाना चाहिए। मौलाना जावेद हैदर जैदी जैसे विद्वानों और इतिहासकारों ने इसे स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा है कि देश की धरोहरों को संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। यह बहस आगे चलकर भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकती है।
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Shantanu Roy
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