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खुले में नमाज को लेकर विवाद: अब मामला पहुंचा सर्वोच्च अदालत, डीजीपी और मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल
jantaserishta.com
16 Dec 2021 12:25 PM GMT
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जानें पूरा मामला.
नई दिल्ली: गुरुग्राम में खुले में नमाज़ पढ़ने को लेकर पिछले कई महीनों से विवाद हो रहा है. यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. मामले में हरियाणा के डीजीपी और मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि पुलिस और प्रशासन अभद्र भाषा और सांप्रदायिक उकसावे के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे, जहां 'गुंडे' लोगों को नमाज अदा करने से रोकते हैं.
गुरुग्राम में नमाज को रोकने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए गुरुग्राम के अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई. राज्यसभा के पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि गुरुग्राम पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता, नफरत फैलाने वाले भाषणों और घृणा अपराध को जन्म दे रही है. क्योंकि पुलिस उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है जो मुसलमानों को जुमे की नमाज अदा करने से रोक रहे हैं.
याचिका में कहा गया है कि शुक्रवार की नमाज को खुले में रखने की अनुमति विशेष रूप से जगह और सुविधाओं की कमी के कारण दी गई थी.
आधा दर्जन लोग हुए थे गिरफ्तार
बता दें कि गुरुग्राम में खुले में नमाज के विरोध पर इस महीने की शुरुआत में, सेक्टर-37 में नमाज अदा करने वाले स्थान पर तनाव की स्थिति बन गई थी. पुलिस ने इस मामले में करीब आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार भी किया था.
खुले में नमाज का विरोध करते हुए हिंदू संगठनों का कहना है कि जिस सार्वजनिक जगह पर नमाज की जाती है, उस पर बाद में धर्म विशेष के लोग 'कब्जा' कर लेते हैं. काफी विवाद के बाद गुरुग्राम पुलिस ने सार्वजनिक स्थानों पर 'नमाज' के स्थान तय किए थे. कहा गया था कि ये स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा आपसी समझ के बाद तय किए गए हैं.
बीते तीन महीनों से सेक्टर 47,सेक्टर 12 A और अब सेक्टर 37 में जिला प्रशासन द्वारा चिन्हित स्थानों पर खुले में नमाज़ का विरोध किया जा रहा है. विरोध के कारण शहर में शुक्रवार की नमाज की संख्या घटकर आधी रह गई है. जानकारी के मुताबिक पहले जहां शहर में 37 जगह शुक्रवार को नमाज अदा की जाती थी वहीं अब ये संख्या घटकर 19 रह गई है.
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