सात रुपये के लिए उपभोक्ता अदालत पहुंचा, हक में आया फैसला
नई दिल्ली: कभी भी रकम छोटी या बड़ी नहीं होती। सही-गलत अथवा अधिकार की लड़ाई महत्वपूर्ण होती है। यहां भी मसला महज सात रुपये का है, लेकिन इसका महत्व एक बड़े तबके को प्रभावित करने वाला है। पूर्वी दिल्ली स्थित उपभोक्ता अदालत ने सात रुपये के लिए लड़ी गई कानूनी लड़ाई के हक में फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की। अदालत ने शोरूम कंपनी को तीन हजार रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
पूर्वी दिल्ली स्थित जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष एस.एस. मल्होत्रा, सदस्य रवि कुमार एवं सदस्य रश्मि बंसल की बेंच ने उपभोक्ता से सामान के साथ कैरी बैग के एवज में सात रुपये अतिरिक्त वसूलने को नियम विरुद्ध करार दिया। अदालत ने कहा कि कानून में हर किसी के लिए नियम निर्धारित हैं। फिर चाहे वह किसी दुकान का मसला हो, मॉल या शोरूम का। ग्राहक अपने साथ हुई सात रुपये की अवैध वसूली को लेकर अदालत आया।
उसका मुद्दा सात रुपये नहीं था। असल में वह सही और गलत में फर्क करना चाहता था। उसने हिम्मत दिखाई और गलत तरीके से वसूले गए सात रुपये के खिलाफ तीन साल कानूनी लड़ाई लड़ी। अदालत ने शोरूम को निर्देश दिया कि वह अनमोल मल्होत्रा को तीन हजार रुपये मुआवजे का भुगतान 30 दिन के भीतर करें।
शिकायतकर्ता अनमोल मल्होत्रा ने शिकायत में कहा था कि वह आठ दिसंबर 2020 को पूर्वी दिल्ली के सीबीडी ग्राउंड स्थित मॉल में गया था। वहां उसने 699 रुपये का सामान खरीदा, लेकिन भुगतान के समय उससे 706 रुपये लिए गए। सात रुपये अधिक लेने पर सवाल किया तो उन्हें बताया गया कि सात रुपये कैरी बैग के अतिरिक्त लिए गए हैं। ग्राहक ने इसका विरोध किया।
अदालत ने कहा कि यह तय नियम है कि कैरी बैग को लेकर दुकानदार/शोरूम मालिक को अपने कार्यस्थल के अंदर और बाहर सूचनापट लगाना होगा। इसमें स्पष्टतौर पर कैरी बैग के लिए अतिरिक्त राशि लिखी होनी अनिवार्य है। साथ ही यह भी लिखा होना चाहिए कि ग्राहक अपना कैरी बैग लाए, अन्यथा उनके यहां से सामान के साथ कैरी बैग लेने पर अतिरिक्त वसूली की जाएगी।