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मोदी सरकार के लिए संविधान एक दस्तावेज नहीं, वंचितों के कल्याण और राष्ट्रनिर्माण की मूल प्रेरणा: शाह

Shantanu Roy
17 Dec 2024 1:28 PM GMT
मोदी सरकार के लिए संविधान एक दस्तावेज नहीं, वंचितों के कल्याण और राष्ट्रनिर्माण की मूल प्रेरणा: शाह
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New Delhi. नई दिल्ली। संसद में आज वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रावधान करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश हो गया है. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल 'संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024' लोकसभा में पेश किया. वहीं, राज्यसभा में आज भी संविधान पर चर्चा जारी है. बीजेपी ने लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों के अपने सदस्यों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है।
अमित शाह ने कहा कि 5 नवंबर 1971 को इंदिरा गांधी की सरकार ने 24वें संशोधन में नागरिक अधिकारों को कर्टेल करने का संसद को अधिकार दे दिया. अमित शाह ने 39वां संविधान संशोधन को लेकर भी कांग्रेस को घेरा. उन्होंने कहा कि ये संविधान संशोधन क्या था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया था. अभी कुछ नहीं है तो हारने पर ईवीएम ले लेकर घूमते हैं. महाराष्ट्र में सूपड़ा साफ हो गया और दूरबीन लेकर दिखाई नहीं देता. उसी दिन झारखंड में जीते हैं तो टप से नए कपड़े पहनकर जाकर शपथ ले ली. एक जगह ईवीएम सही, एक जगह खराब है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन अमान्य कर दिया और उन्होंने प्रधानमंत्री पद की न्यायिक जांच पर भी संशोधन से रोक लगा दिया. ये जो कम्युनिस्ट भाई अधिकारों की बात करते हैं, रात में कभी सोचना भैया किसके साथ बैठे हो. एक कहता है कि मैं शासक हूं, मेरी कोई जांच नहीं कर सकते और हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि प्रधान सेवक हूं. उन्होंने एक देश, एक चुनाव बिल पर संसद और विधानसभाओं के कार्यकाल बढ़ाने की बात कर रहे थे कि नहीं कर सकते. इन्होंने इमरजेंसी में विधानसभाओं का कार्यकाल ही बढ़ाकर पांच से छह साल कर दिया कि चुनाव हुए तो हार जाएंगे. विपक्ष के सदस्यों ने इस पर हंगामा कर दिया. गृह मंत्री शाह ने कहा कि खड़गे जी आपने किया है तो सुनना पड़ेगा. हिम्मत रखिए सुनने की।

अमित शाह ने संविधान सभा के सदस्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि इतने सारे मनीषियों का विचार जिसमें हो, उस संविधान को सफल होना ही था. विदुर नीति, शांति पर्व, रामायण के विचार को भी हमने इसमें समाहित करने का प्रयास किया था. किस तरह से राजनीतिक दलों ने संविधान को आगे बढ़ाया, इसकी भी चर्चा समयोचित होगी. डॉक्टर आंबेडकर ने कहा था कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो, वह बुरा हो सकता है जिन पर उसे चलाने की जिम्मेदारी है, अगर वो अच्छे न हों. कोई संविधान कितना भी बुरा क्यों न हो, वह अच्छा हो सकता है अगर चलाने वाले लोग अच्छे हों. परिवर्तन जीवन का मंत्र है, उसे संविधान सभा ने स्वीकार किया था और इसके लिए संविधान संशोधन का प्रावधान किया गया था।

संविधान बदलने का प्रावधान अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में ही है. एक नेता आए हैं, 54 साल में खुद को युवा कहते हैं. वो चिल्लाते रहते हैं कि संविधान बदल देंगे. बीजेपी ने 16 साल में 16 परिवर्तन किए. कांग्रेस ने भी परिवर्तन किए. इनका टेस्ट कैसा था. परिवर्तन का उद्देश्य क्या था. क्या हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए परिवर्तन किए गए या अपनी राज्यसत्ता को टिकाने के लिए परिवर्तन किए गए. इससे ही पार्टी का कैरेक्टर मालूम पड़ता है. दोनों प्रमुख दलों के चार-चार संविधान संशोधन को लेना चाहूंगा. पहला संशोधन हुआ 18 जून 1951 को, ये संविधान सभा को ही संशोधन लेना पड़ा, 19 ए जोड़ा गया. अभिव्यक्ति की आजादी को कर्टेल करने के लिए पहला संशोधन आया. तब पीएम नेहरू थे।

गृह मंत्री ने कहा कि सरदार पटेल के प्रयास से देश एकजुट हुआ. जो लोग कहते थे कि देश आत्मनिर्भर हो पाएगा या नहीं, देश आज दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल हो गया है और ब्रिटेन जिसने हम पर वर्षों तक शासन किया, वह भी हमारे बाद है. उन्होंने महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद को कोट करते हुए कहा कि इन्होंने कहा था कि भारत माता जब अपने दैदीप्यमान स्वरूप में आएंगी तो दुनिया की आंखें चकाचौंध हो जाएंगी. ये भविष्यवाणी अब सच होने का समय आ गया है. देश की प्रगति पर सार्थक चर्चा हुई।

उन्होंने संविधान सभा के गठन और संविधान सभा में बहस का भी उल्लेख किया और कहा कि हमें संविधान पर गर्व है. अमित शाह ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के करीबी नंदलाल बोस की ओर से संविधान सजाए जाने का जिक्र करते हुए एक-एक चित्र का मतलब भी बताया और एक सदस्य के चित्रों की चर्चा पर कमेंट का जिक्र किया और कहा कि जो सारे चित्र लगाए गए हैं, वो राष्ट्र की यात्रा को चित्रित करने वाले हैं. कोई ये ना समझे कि हमारा संविधान महज नकल है. ऋग्वेद में भी शुभ विचार लेने की बात कही गई है. हमने सबकी अच्छी बातें ली हैं, लेकिन अपनी विरासत को नहीं छोड़ा है. चित्र के बगैर संविधान अधूरा संविधान है।

राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह संविधान पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश कितना आगे बढ़ा, जनता को ये चर्चा इस बात का अहसास कराएगी. इस चर्चा में हम गहराई तक गए. हमारा लोकतंत्र पाताल की गहराई तक है. ये भी साफ हुआ कि जब जब जनता ने किसी पार्टी को जनादेश दिया तो उसने सम्मान किया या नहीं किया. संविधान पर चर्चा युवा पीढ़ी के लिए अच्छा है. इस देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से अनेक तानाशाहों का अभिमान चूर-चूर करने का काम किया है। राज्यसभा में संविधान पर चर्चा जारी है. उच्च सदन में संविधान पर चर्चा का गृह मंत्री अमित शाह जवाब देंगे. लोकसभा में संविधान पर हुई चर्चा का शनिवार को पीएम मोदी ने जवाब दिया था. गौरतलब है कि पहले राज्यसभा में संविधान पर चर्चा की शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह को ही करना था लेकिन अंतिम समय में वक्ताओं के क्रम में बदलाव हुआ था. सरकार की ओर से गृह मंत्री की जगह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संविधान पर चर्चा की शुरुआत की थी. लोकसभा में चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी।
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