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विपक्षी दलों को एकजुट करने और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ साझा रणनीति बनाने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार शाम को सहयोगी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है. इस बैठक में शरद पवार, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, एमके स्टालिन, हेमंत सोरेन जैसे बड़े नेता शामिल होंगे.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- Sonia Gandhi Meeting: विपक्षी दलों को एकजुट करने और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ साझा रणनीति बनाने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार शाम को सहयोगी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है. इस बैठक में शरद पवार, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, एमके स्टालिन, हेमंत सोरेन जैसे बड़े नेता शामिल होंगे. बैठक शाम 4 बजे शुरू होगी जिसमें सभी नेता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ेंगे. सोनिया के अलावा राहुल गांधी भी इस बैठक में मौजूद रह सकते हैं.
हफ्ते भर पहले खत्म हुए संसद के मानसून सत्र के दौरान भी सरकार को घेरेबंदी में विपक्षी दल एकजुट नजर आए थे. शुक्रवार को होने वाली बैठक में आगे की रणनीति को लेकर विपक्षी दलों के बड़े नेता चर्चा करेंगे. सूत्रों के मुताबिक संसद के मानसून सत्र, पैगासस जासूसी कांड, कोरोना महामारी, किसान आंदोलन से लेकर अफगानिस्तान के हालात तक पर चर्चा हो सकती है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि 2024 लोकसभा चुनाव और उससे पहले आने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी विरोधी मोर्चा को लेकर विपक्षी नेताओं में क्या बात होती है? पिछले महीने के अंत में अपने दिल्ली दौरे के दौरान ममता बनर्जी ने बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता को जरूरी बताया था.
ये नेता बैठक में हो सकते हैं शामिल
सोनिया गांधी की अध्यक्षता में होने वाली विपक्षी नेताओं बैठक के लिए किन-किन पार्टियों और नेताओं को न्यौता भेजा गया है इसको लेकर कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है. सूत्रों के मुताबिक करीब 15 छोटी-बड़ी पार्टियों के नेता इस बैठक में शामिल होंगे. कांग्रेस के अलावा टीएमसी, एनसीपी, शिवसेना, डीएमके, समाजवादी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, नेशनल कॉन्फ्रेंस, सीपीएम, सीपीआई, जनता दल सेक्युलर इस बैठक में मौजूद रहेंगे. हमेशा की तरह बीएसपी, आम आदमी पार्टी जैसी पार्टियां इस बैठक से दूर रहेंगी.
सोनिया गांधी की बैठक को लेकर कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने कहा, "मुख्य रूप से विपक्ष की एकता की बात होगी कैसे संयुक्त रणनीति बनाई जाए. विपक्ष इस देश में आने वाले समय में एक मजबूत विकल्प तैयार करना चाहता है. लोग वर्तमान सरकार और उसकी नीतियों से त्रस्त हैं और उन्हें विकल्प की तलाश है. 2004 में सोनिया जी ने पहले भी यूपीए बनाकर एक विकल्प देश को दिया था, ठीक उसी तरह से फिर एक विकल्प बनाने की जरूरत है हर उस दिशा में सोनिया जी कदम आगे बढ़ा रही हैं."
इससे पहले बीते कुछ महीनों में प्रमुख विपक्षी नेता मसलन सोनिया गांधी, एचडी देवगौड़ा, शरद पवार, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, एमके स्टालिन, हेमंत सोरेन, फारुख अब्दुल्ला, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, डी राजा, सीताराम येचुरी ने कोरोना टीकाकरण और किसान आंदोलन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री को साझा चिट्ठी लिखी थी.
संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में विपक्षी दलों की नियमित बैठकें हुई. कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन देने विपक्षी सांसद एक साथ पहुंचे. राहुल गांधी ने संसद में विपक्षी दलों के नेताओं को नाश्ते पर भी आमंत्रित किया था जिसके बाद राहुल के साथ कई विपक्षी नेता मंहगे पेट्रोल-डीजल के खिलाफ साईकल चलाकर संसद गए. हालांकि इस दौरान कई मौकों पर टीएमसी ने यह दिखाने की कोशिश की कि वह कांग्रेस की पिछलग्गू नहीं है.
हफ्ते भर पहले कांग्रेस के असन्तुष्ट गुट के नेता कपिल सिब्बल ने अपने घर पर विपक्षी नेताओं को भोज पर आमंत्रित किया था जिसमें शरद पवार, अखिलेश यादव, लालू यादव, उमर अब्दुल्ला, डेरेक ओ ब्रायन जैसे कांग्रेस के सहयोगी दलों के बड़े चेहरे तो आए ही कांग्रेस से दूरी बना कर चलने वाले बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाईएसआर कांग्रेस, अकाली दल जैसे दलों के नेता भी शामिल हुए. इस भोज में जमा हुए नेताओं ने कांग्रेस पार्टी में उपेक्षित चल रहे कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद जैसे 'G 23' नेताओं के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया.
संदेश यह गया कि विपक्षी एकजुटता के नाम पर कांग्रेस के अंदर से ही राहुल गांधी को चुनौती दी जा रही है. इन परिस्थितियों में यह जानना दिलचस्प होगा कि सोनिया गांधी की अध्यक्षता में होने वाली विपक्षी नेताओं की बैठक में क्या खिचड़ी पकती है?
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