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मस्जिदों के जरिए मुस्लिम के दिल में जगह बनाएगी कांग्रेस पार्टी, जानें क्या है प्लानिंग
jantaserishta.com
24 Sep 2021 6:08 AM GMT
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लखनऊ: कांग्रेस उत्तर प्रदेश में तीन दशक के सत्ता के वनवास को खत्म करने अपने पुराने जातीय समीकरण पर फिर से दुरुस्त करने में जुट गई है. ऐसे में कांग्रेस की नजर सपा के मुस्लिम वोटबैंक पर है, जिसे अपने पाले में लाने के लिए मौलाना-मोलवियों को बाद मस्जिद का सहारा लेने जा रही है. कांग्रेस अपने 16 सूत्रीय संकल्प पत्र को मुसलमानों के घर-घर तक पहुंचाने के लिए शुकवार को जुमे की नमाज के बाद मस्जिदों के बाहर संकल्प पत्र को बांटेगी.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अब मुस्लिम वोटों के लिए सपा के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलने की तैयारी की है. 2022 यूपी चुनाव में कांग्रेस हर वो दांव चल रही है, जिससे सपा के मुस्लिम कोर वोट बैंक में सेंध लग सके. इसी रणनीति के तहत कांग्रेस ने 16 सूत्री संकल्प पत्र में ऐसे चुन-चुनकर मुद्दों को शामिल किया है, जो सपा सरकार को मुसलमानों के मामले पर कठघरे में खड़ा करने वाले है.
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस अपने पुराने मुस्लिम वोटबैंक को वापस लेने के लिए वो सब करने की कवायद में है, जिससे अखिलेश यादव की सपा को सियासी नुकसान पहुंच सके. इस रणनीति के तहत कांग्रेस का सबसे बड़ा एजेंडा यह है कि वह मुसलमानों के मुद्दों पर सपा को मुस्लिम के बीच एक्सपोज करना.
कांग्रेस का 16 सूत्रीय संकल्प पत्र
1- सरकार बनी तो सीएए और एनआरसी विरोधी आंदोलन में दर्ज मुकदमे वापस होंगे और मुआवजा दिया जाएगा.
2- राजस्थान की कांग्रेस सरकार की तरह मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने के लिए विधानसभा से राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजा जाएगा.
3- बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली दी जाएगी और कांग्रेस के जमाने में स्थापित की गईं कताई मिलों को फिर से खोला जाएगा.
4- डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में बुनकरों के लिए जारी किए गए 2350 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
5- सपा सरकार में बंद की टेनरी खोली जाएंगी.
6- अंबेडकर छात्रावासों के तर्ज पर हर जिले में अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मौलाना आजाद छात्रावास खोले जाएंगे.
7- अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाएगी.
8- मदरसा आधुनिकीकरण, शिक्षकों के बकाया वेतन को देने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाएगा.
9- पिछले 30 सालों में वक्फ की संपत्तियों में हुई धांधली की जांच कराई जाएगी और दोषियों को सजा दी जाएगी.
10- पसमांदा तबकों के विकास के लिए अलग से पसमांदा आयोग का गठन किया जाएगा.
11- दस्तकार वर्ग की आवाज को सदन में स्थायी तौर पर उठाने के लिए उस वर्ग से विधानपरिषद में एक सदस्य नामित किया जाएगा.
12- अखिलेश यादव सरकार में हुए सभी छोटे-बड़े दंगों की न्यायिक जांच कराकर दोषियों को सजा दी जाएगी.
13- 1992 में कानपुर में हुए दंगे की जांच के लिए गठित माथुर कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई कर दोषियों को सजा दी जाएगी.
14- हर मंडल में एक यूनानी मेडिकल कालेज खोला जाएगा.
15- अल्पसंख्यक वर्ग में आत्मविश्वास विकसित करने के लिए अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में राज्य पुलिस बल में भर्ती के लिए विशेष कैंप लगाए जाएंगे.
16- उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण अधिनियम के तहत बेगुनाह लोगों पर लादे गए मुकदमे, जिन्हें हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है उनको मुआवजा दिया जाएगा.
कांग्रेस के 16 सूत्रीय संकल्प पत्र में सीएए-एनआरसी आंदोलन में दर्ज मुकदमें वापस लेने से लेकर मॉब लिचिंग के लिए कानून बनाने और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के राज से लेकर अखिलेश यादव सरकार में हुए सांप्रदायिक दंगों की न्यायिक जांच कराने का वादा शामिल है.
कांग्रेस इसी संकल्प पत्र को 15 अक्टूबर तक हर शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद मस्जिद के बाहर सूबे की सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में वितरण करेगी. यूपी में हर शुक्रवार को 8 हजार 432 मस्जिदों के बाहर कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्य 16 सूत्रीय संकल्प पत्र वितरण का काम करेंगे. कांग्रेस इस अभियान के तहत मस्जिदों के जरिए 25 लाख मुसलमानों के घर-घर संकल्प पत्र पहुंचाएगी.
कांग्रेस अल्पसंख्यक कमेटी के द्वारा बनाए गए संकल्प पत्र में ऐसे एजेंडे शामिल किए गए हैं, जो सीधे-सीधे मुस्लिमों के मुद्दे पर सपा और अखिलेश यादव को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है. अखिलेश राज के 2012 से 2017 के बीच राज में हुए सभी छोटे बड़े दंगों की न्यायिक जांच कराने का वादा किया है. सपा सरकार में मुजफ्फरनगर से लेकर मथुरा के कोसीकला, प्रतापगढ़ सहित करीब सैकड़ों दंगे हुए थे. इसके अलावा कांग्रेस की सरकार बनने पर मुस्लिमों को लिए क्या-क्या कदम उठाए जाएंगी उनका भी जिक्र किया गया है.
कांग्रेस इन्हीं 16 मुद्दों के लेकर सपा को 2022 के चुनाव में घेरने की तैयारी कर रखी है. इसे कांग्रेस गांव-गांव और कस्बों में जाकर मस्जिदों के जरिए मुस्लिमों के बीच पहुंचाएगी. इस तरह कांग्रेर मुस्लिम वोटर को सपा से दूर कर अपने पाले में लाने की कवायद में है.
यूपी की सत्ता से कांग्रेस तीन दशकों से बाहर है और सपा-बसपा ही सरकार में रही हैं. सूबे का मुस्लिम मतदाता आजादी के बाद से 90 के दशक तक कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा है, जिसके चलते कांग्रेस सत्ता पर विराजमान होती रही है. मंडल और कंमडल की राजनीति में कांग्रेस का राजनीतिक समीकरण यूपी में टूट गया है, जिसमें ब्राह्मण वोटर बीजेपी में चला गया तो दलित बसपा के साथ है जबकि मुस्लिमों की पहली पसंद सपा बनी और उसके बाद मायावती.
मुस्लिम वोटों के छिटकने के चलते ही कांग्रेस सूबे की सत्ता में दोबारा से नहीं आ सकी हैं. ऐसे में कांग्रेस फिर से अपने पुराने मुस्लिम वोटबैंक को वापस लाने के लिए तमाम जतन कर रही हैं. यूपी में मुस्लिम वोटों के लेकर कांग्रेस ने सीधे सपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सपा को मुसलमानों के मुद्दे पर कांग्रेस न सिर्फ घेरेगी बल्कि मुस्लिम समुदाय के बीच एक्सपोज चाहती है.
कांग्रेस ऐसे ही सपा को निशाने पर नहीं ले रही है बल्कि उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी मुस्लिम वोटरों को साधने की रणनीति है. 20 फीसदी मुसलमानों का सूबे की कुल 143 सीटों पर असर है. इनमें से 70 सीटों पर मुस्लिम आबादी बीस से तीस फीसद के बीच है. 73 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान तीस फीसद से ज्यादा है.
सूबे की करीब तीन दर्जन ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम उम्मीदवार अपने दम पर जीत दर्ज कर सकते हैं जबकि करीब 107 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां अल्पसंख्यक मतदाता चुनावी नतीजों को खासा प्रभावित करते हैं. इनमें ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई वाले इलाके और पूर्वी उत्तर प्रदेश की हैं. इसीलिए कांग्रेस मुस्लिमों को अपने साथ जोड़ने के लिए खुलकर सपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और आरपार के मूड में है.
ऐसे में वह चाहे दंगों के न्यायिक जांच की बात हो वह चाहे माथुर कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने का वादा. वह चाहे समाजवादी शासन के दौरान टेनरी और बुचड़खाने के बंद होने की बात हो या फिर पुलिस बलों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की भर्ती का सवाल. ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें लेकर कांग्रेस के निशाने पर सपा और अखिलेश यादव होंगे. ऐसे में देखना होगा कि कांग्रेस की यह रणनीति 2022 के चुनाव में कितना सफल रहती है.
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