दिल्ली। भारतीय युवा कांग्रेस ने दिल्ली में IYC कार्यालय के बाहर कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज करने और चुनावी बांड को लेकर भाजपा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
भारतीय युवा कांग्रेस ने दिल्ली में IYC कार्यालय के बाहर कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज करने और चुनावी बांड को लेकर भाजपा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। pic.twitter.com/lI9PGebxEi
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 16, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताया है और इस पॉलिसी को रद्द कर दिया है. कोर्ट का कहना था कि चुनाव बॉन्ड की योजना सूचना के अधिकार (RTI) के खिलाफ है. कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वो 2019 से अब तक की जानकारी तलब करे. बॉन्ड जारी करने वाले एसबीआई को यह जानकारी देनी होगी कि अप्रैल 2019 से लेकर अब तक कितने लोगों ने कितने-कितने रुपए के चुनावी बॉन्ड खरीदे. एसबीआई तीन हफ्ते में यह जानकारी देगी. उसके बाद चुनाव आयोग जनता तक यह जानकारी पहुंचाएगा. आइए जानते हैं कि चुनावी बॉन्ड का मतलब क्या है और अब इसका असर क्या होगा?
दरअसल, चुनावी बॉन्ड को सरकार ने आरटीआई के दायरे से बाहर रखा है. यानी आम जनता आरटीआई के तहत चुनावी बॉन्ड से संबंधित जानकारी नहीं मांग सकती है. जबकि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, वोटर्स का हक है कि वो पार्टियों के फंड के बारे में जानकारी रखें. चुनाव आयोग को भी इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित जानकारी बेवसाइट पर देनी होगी. सरकार की दलील थी कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पॉलिटिकल फंडिंग में ब्लैक मनी और गड़बड़झाला रुक सकेगा. जबकि कोर्ट ने कहा, काला धन रोकने के दूसरे रास्ते भी हैं.
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब चुनावी बॉन्ड को ना बैंक बेच सकेंगे और ना जमा कर सकेंगे. जिन बैंकों में किसी का खाता है, वे अब पार्टियों के खाते में चुनावी चंदा जमा नहीं कर सकेंगे. एसबीआई को राजनीतिक दलों द्वारा इनकैश कराए गए चुनावी बॉन्ड का विवरण प्रस्तुत करना होगा. वहीं, इनकैश नहीं कराए गए इलेक्टोरल बॉन्ड की राशि खरीदार के खाते में वापस करनी होगी.