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यूपी में सियायत के लिए कांग्रेस को सपा-रालोद का साथ जरूरी

Admin Delhi 1
8 Dec 2023 7:21 AM GMT
यूपी में सियायत के लिए कांग्रेस को सपा-रालोद का साथ जरूरी
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मुरादाबाद: यूपी में सियायत के निचले पायदान पर खड़ी कांग्रेस को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव परिणामों से झटका लगा है. इससे कांग्रेस पर ‘इंडिया’ में शामिल दलों का दबाव बढ़ेगा. सवाल यह है कांग्रेस सीट बंटवारे में सपा का कितना दबाव स्वीकार कर पाएगी.
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सियासी ताकत हासिल करने की गरज से यूपी कांग्रेस को इन चार राज्यों के चुनाव परिणामों का बेसब्री से इंतजार था. तेलंगाना के चुनाव परिणाम से मिली थोड़ी राहत के आधार पर पार्टी खुद को संभालने में लगी है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यदि लोकसभा चुनाव में सपा व रालोद जैसे सहयोगी दलों का साथ नहीं मिला तो कांग्रेस अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाएगी.
लोकसभा चुनाव के लिए बने विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल दलों को भी इन राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम का इंतजार था. वे खुद इन चुनाव से कांग्रेस की ‘सेहत’ का अंदाजा लगाने की फिराक में थे. यूपी में ‘इंडिया’ के प्रमुख घटक दल सपा का कांग्रेस से संबंध पहले ही खराब हो गया था. कांग्रेस के ताकतवर होने पर सीटों के बंटवारे में उसका दबाव बढ़ जाता, जबकि सपा यूपी में खुद को ‘बड़े भाई’ की भूमिका में देखती है. अब कांग्रेस के भीतर से ही कहा जाने लगा है कि जातीय जनगणना की मांग उठाने के बाद भी जातीय समीकरण की अनदेखी कर कांग्रेस ने यूपी में नए प्रदेश अध्यक्ष की तैनाती की. इसके बाद राजनीति में महिलाओं को 50 फीसदी भागीदारी देने के संकल्प के बावजूद प्रदेश कमेटी में मात्र तीन महिलाओं को जगह दी. वर्तमान में प्रदेश में पार्टी के पास मात्र एक लोकसभा और दो विधानसभा सीट है.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय नवनियुक्त प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. कई दलों से आए नेताओं ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली.

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