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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ, नई किताब में लिखी ये बात

jantaserishta.com
7 Nov 2021 11:38 AM GMT
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ, नई किताब में लिखी ये बात
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नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है. शशि थरूर का मानना है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल एक राष्ट्रीय अपील और गुजरातियों का प्रतिनिधित्व करते थे और नरेंद्र मोदी भी वैसे ही हैं. थरूर ने पीएम मोदी को एक चतुर राजनेता बताया है. शशि थरूर ने ये बातें अपनी किताब 'Pride, Prejudice and Punditry: The Essential Shashi Tharoor' में कहीं हैं.

शशि थरूर ने अपनी किताब में लिखा है कि नरेंद्र मोदी एक चतुर राजनेता हैं जिन्होंने बाकी गुजरातियों खासतौर से महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल से अलग खुद की चमक बिखेरी है. उन्होंने लिखा कि इसकी शुरुआत 2014 में उसी वक्त शुरू हो गई थी, जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की विरासत पर आक्रामक रूप से दावा किया था.
थरूर ने लिखा कि अपनी पार्टी लाइन से अलग जाते हुए मोदी ने 600 फुट ऊंची सरदार पटेल की मूर्ति के लिए देशभर के किसानों से लोहा दान देने की अपील की थी. ये मूर्ति दुनिया में सबसे ऊंची है जिसने स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को भी बौना कर दिया है. थरूर ने लिखा कि 2002 के दंगों के बाद मोदी की छवि धूमिल हुई थी, लेकिन बाद में उन्होंने खुद को पटेल की तरह ही कठोर और निर्णायक कार्रवाई करने वाले नेता की तौर पर पेश किया.
उन्होंने लिखा, सरदार पटेल एक राष्ट्रीय अपील और गुजराती मूल के व्यक्ति दोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो मोदी के अनुकूल है और गुजरातियों में 'पटेल के बाद मोदी जैसा' संदेश भी गूंजता है.
हालांकि, आगे उन्होंने ये भी लिखा कि ये विडंबना है कि मोदी जैसे स्वघोषित 'हिंदू राष्ट्रवादी' खुद को गांधीवादी नेता का दावा भी करते हैं जिन्होंने कङभी अपने भारतीय राष्ट्रवाद को धार्मिक लेबल के साथ नहीं दिखाया. उन्होंने लिखा कि सरदार पटेल धर्म और जाति से हटकर सभी के लिए समान अधिकारों में विश्वास रखते थे.
इस किताब में थरूर ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बारे में जो बोला था, उसका जिक्र भी किया है. उन्होंने लिखा, वाजपेयी ने राष्ट्र को नेहरू के आदर्शों के लिए खुद को फिर से समर्पित करने का आह्वान किया था. उन्होंने नेहरू के लिए 'एकता, अनुशासन और आत्मविश्वास' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था जो मोदी कभी नहीं कर सकते थे.
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