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भोपाल: मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में 13 साल पहले हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए हंगामे और पथराव के मामले में एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश ने कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी सहित तीन अन्य लोगों को एक-एक साल की सजा सुनाई है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऊपरी अदालत में जाने का फैसला लिया है।
सितंबर 2009 में राजगढ़ में कांग्रेस ने किसानों की समस्याओं को लेकर कलेक्ट्रेट का घेराव किया था, इस दौरान हंगामा हुआ और पथराव भी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित कई लोग घायल हुए थे। इस मामले की सुनवाई का सिलसिला 2018 से शुरू हुआ।
सुनवाई करते हुए एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश विधान माहेश्वरी ने विधायक जीतू पटवारी के साथ तीन अन्य लोगों को एक-एक साल की सजा सुनाई और 20 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया, बाद में चारों को जमानत मिल गई। इस मामले को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि, भोपाल की एमपी एमएलए कोर्ट ने पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को किसान और बिजली बिल के खिलाफ आंदोलन के एक पुराने मुकदमे में सजा सुनाई है। हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इससे असहमत हैं। हम ऊंची अदालत में इस फैसले को चुनौती देंगे।
उन्होंने कहा मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता जनता की लड़ाई लड़ने से कभी पीछे नहीं हटेंगे, चाहे उनके खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही की जाए। समाज को हक दिलाने के लिए आंदोलन करना नेता का पहला कर्तव्य है। यह संविधान की मूल भावना के अनुरूप है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से कांग्रेस के हर कार्यकर्ताओं ने यही सीखा है। उन्होने कहा, पूरी कांग्रेस पार्टी जीतू पटवारी के साथ है। हम सब मिलकर लोकतांत्रिक संवैधानिक और अदालती तरीके से अन्यायी सरकार का मुकाबला करेंगे।
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