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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान
मुंबई: महाराष्ट्र के सीएम पद से इस्तीफा देने वाले उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना ही इमोशनल भाषण देते हुए विदाई ली है। माना जा रहा है कि उन्होंने अपनी छवि सत्ता के खेल से परे रहने वाले और सिद्धांतों पर डटने वाले शख्स के तौर पर पेश करने की कोशिश की है। लेकिन उनके इस फैसले पर उस कांग्रेस के नेता ने ही सवाल उठा दिया है, जिसे उन्होंने अपने विदाई भाषण में थैंक्यू बोला था। पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने उद्धव ठाकरे के इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वह लड़ना नहीं चाहते हैं। उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, 'उद्धव ठाकरे को बिना फेसबुक लाइव के विधानसभा में आना चाहिए था और अपनी बात रखते हुए इस्तीफा देना था।'
चव्हाण ने उद्धव ठाकरे की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि उद्धव को पता ही नहीं था कि इतने सारे लोग परेशान थे। वे बगावत के सदमे से बाहर नहीं निकले। वह कहता रहा कि मेरे कितने आदमियों ने उसे धोखा दिया है। उन्हें पता नहीं था कि नीचे क्या हो रहा है। यह नेतृत्व कौशल का सवाल है। अगर उन्होंने बीजेपी को रोकने के लिए कोई दूसरा विकल्प दिया होता तो हम राजी हो जाते। पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, 'अब उद्धव ठाकरे की लड़ने की कोई इच्छा नहीं है।'
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया था, वह भ्रमित करने वाला था। इस परिणाम में कोई स्पष्टता नहीं है। विधायकों की अयोग्यता को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। ऐसे में इसका इंतजार करना चाहिए था। उन्होंने कहा, 'उद्धव ठाकरे को सदन में आकर अपना बचाव करना चाहिए था और फिर इस्तीफा दे देना चाहिए था। राज्य की जनता उनका पक्ष जानती होगी। विपक्ष के नेता के साथ-साथ कुछ अन्य नेताओं को भी बोलने का अवसर मिलता।'
चव्हाण ने कहा कि विधानसभा के सत्र में बोलने का मौका मिलता तो फिर कांग्रेस और एनसीपी भी बता पातीं कि क्यों उन्होंने सरकार बनाने का फैसला लिया था। कांग्रेस के सीनियर नेता बोले, 'अब उद्धव ठाकरे की लड़ने की कोई इच्छा नहीं है। उन्होंने रक्तपात के बारे में जो कुछ भी कहा वह झूठ था। उन्हें लड़ना चाहिए था।' उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मैं गुस्से में नहीं हूं बल्कि यह मेरी निजी राय है। चव्हाण ने कहा कि मैं महाराष्ट्र के लोगों को बताना चाहता था, जिन्होंने ढाई साल तक मेरा साथ दिया कि फेसबुक लाइव और विधायिका में बोलने में अंतर है। वह विधायिका में जो कहते हैं वह रिकॉर्ड में होता।
यही नहीं एकनाथ शिंदे की ओर से एनसीपी और कांग्रेस पर अटैक पर भी चव्हाण ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि शिंदे को लगता था कि वह सीएम बनेंगे क्योंकि बालासाहेब ने मनोहर जोशी को मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन वे मुख्यमंत्री नहीं बन सके। शरद पवार ने दोनों पार्टियों में वरिष्ठ नेता होने के नाते यह स्टैंड लिया था कि कनिष्ठ व्यक्ति के तहत काम करना मुश्किल होगा। इसलिए उद्धव ठाकरे ही सीएम बने और यही एकनाथ शिंदे की नाराजगी की वजह बन गई।
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