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कांग्रेस नेतृत्व ने राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव डालने का दांव चलकर अब पार्टी को अनिर्णय और असमंजस के दौर से निकालने की गति बढ़ा दी है। कांग्रेस हाईकमान ने इस कोशिश के तहत जहां अब हर कीमत पर सचिन पायलट और उनके समर्थकों की राजस्थान की सत्ता-संगठन में दोबारा एंट्री की समय सीमा तय कर दी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- नई दिल्ली। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे दिग्गज नेता पर दबाव बनाने में मिली कामयाबी के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव डालने का दांव चलकर अब पार्टी को अनिर्णय और असमंजस के दौर से निकालने की गति बढ़ा दी है। कांग्रेस हाईकमान ने इस कोशिश के तहत जहां अब हर कीमत पर सचिन पायलट और उनके समर्थकों की राजस्थान की सत्ता-संगठन में दोबारा एंट्री की समय सीमा तय कर दी है। वहीं उत्तराखंड से लेकर मणिपुर, गोवा और असम जैसे राज्यों में प्रदेश कांग्रेस में बदलाव को धड़ाधड़ अमलीजामा पहनाया जा रहा है।
ज्यादा समय नहीं देना चाहता हाईकमान
दरअसल पंजाब कांग्रेस का घमासान खत्म करने में पार्टी नेतृत्व को चार महीने से अधिक का समय लग गया। लिहाजा हाईकमान राजस्थान में अशोक गहलोत को अंदरूनी खींचतान खत्म करने के लिए ज्यादा समय देने का जोखिम नहीं लेना चाहता। इसलिए पिछले कई महीनों से दिल्ली आने से बच रहे गहलोत को स्पष्ट संदेश भेजा गया है कि अब पायलट और उनके समर्थकों की सत्ता-संगठन में भागीदारी का मामला लटकाने की गुंजाइश नहीं है।
हाईकमान ने इरादों का दिया संकेत
इसके लिए हाईकमान ने राजस्थान के प्रभारी महासचिव अजय माकन के साथ अपने विशेष दूत के तौर पर संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को रविवार को जयपुर भेजा। माकन और वेणुगोपाल ने विधायकों के साथ बैठक में भी हाईकमान के इन इरादों का संकेत दे दिया।
पंजाब में मिली सफलता ने खोली राह
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस नेतृत्व पंजाब प्रकरण में मिली बढ़त से गरम सियासी लोहे का असर ठंडा नहीं पड़ने देना चाहता, इसलिए राजस्थान समेत अन्य राज्यों में अपने मनमाफिक बदलाव को सिरे चढ़ाने का मौका छोड़ना नहीं चाहता। हाईकमान सिद्धू की तरह अब पायलट को दिए अपने वादे को पूरा करना चाहता है। पिछले साल पायलट को बगावत की राह से लौटाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें और उनके समर्थकों की सत्ता-संगठन में सम्मानजनक भागीदारी का वादा किया था।
हाईकमान ने जाहिर कर दी मंशा
राजस्थान में सियासी आपरेशन को गति देने से पहले कांग्रेस ने सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने के दिन ही उत्तराखंड कांग्रेस में बड़े बदलाव को अंजाम दिया। गणेश गोंदियाल को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, प्रीतम सिंह को विपक्ष का नेता और हरीश रावत को प्रदेश चुनाव अभियान समित का अध्यक्ष बनाकर हाईकमान ने अपनी पसंद साफ जाहिर कर दी।
अपनाई बदलाव की राह
इसके बाद राहुल गांधी ने गोवा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर चुनाव से पहले वहां संगठन में होने वाले फेरबदल पर मंत्रणा पूरी कर ली और अब बदलावों का एलान किसी भी दिन हो जाएगा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद असम कांग्रेस में बदलाव को लेकर भी हाईकमान ने असमंजस खत्म करते हुए शनिवार रात रिपुन बोरा की जगह भूपेन बोरा को प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
पंजाब और तेलंगाना की तर्ज पर असम में भी तीन कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है। मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष के इस्तीफे के मद्देनजर नेतृत्व ने शनिवार देर रात लोकेन सिंह को प्रदेश कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बना दिया। बीते कुछ दिनों के भीतर हुए इन त्वरित फैसलों से साफ है कि बढ़ रही चुनौतियों के मद्देनजर हाईकमान को अपनी दुविधा और असमंजस की स्थिति से बाहर आने का यह सबसे मुफीद मौका नजर आ रहा है।
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