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कोरोना और Omicron के बीच बर्ड फ्लू की पुष्टि, मुर्गियों और बतख को मारने के निर्देश

jantaserishta.com
10 Dec 2021 4:08 AM GMT
कोरोना और Omicron के बीच बर्ड फ्लू की पुष्टि, मुर्गियों और बतख को मारने के निर्देश
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बड़ी खबर.

थाकाझी: केरल (Kerala) के अलाप्पुझा जिले के थाकाझी पंचायत (Thakazhy Panchayat) से बर्ड फ्लू (Bird Flu) फैलने की खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि पुरक्कड़ से भेजे गए बतखों में बर्ड फ्लू होने की पुष्टि हुई है. इसकी सूचना मिलते ही अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्रों में एक किलो मीटर तक के दायरे में बतखों, मुर्गियों और घरेलू पक्षियों को मारने के आदेश दे दिए हैं. फ्लू के प्रकोप की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी ए. अलेक्जेंडर ने स्थिति का जायजा लेने के लिए गुरुवार को पशुपालन, स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ तत्काल मीटिंग भी की.

मीटिंग के बाद अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने थाकाझी ग्राम पंचायत के वार्ड नंबर 10 के एक किलो मीटर के क्षेत्र में सभी बतखों, मुर्गियों और अन्य घरेलू पक्षियों को मारने का आदेश दिया है ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.
इसके साथ ही अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र भी घोषित किया है और यहां पर वाहनों और लोगों की आवाजाही को भी रोक दिया गया है. जिलाधिकारी ने फ्लू संभावित क्षेत्रों में मुर्गी, बतख और पक्षियों के अंड्डे, मांस आदि की ब्रिक्री पर रोक दिया है.
जानकारी के अनुसार प्रशासन ने चंपाकुलम, नेदुमुडी, मुत्तर, वियापुरम, करुवट्टा, थ्रीकुन्नपुझा, थकाझी, पुरक्कड़, अंबालापुझा दक्षिण, अंबालापुझा उत्तर हरिप्पड नगरपालिका क्षेत्र में प्रतिबंध लगाया है. इसके साथ ही प्रशासन ने इन क्षेत्रों में पक्षियों को पकड़ने और उन्हें नष्ट करने के लिए पशुपालन विभाग की एक रिस्पांस टीम का गठन किया है.
जिलाधिकारी ने बैठक के दौरान सहायक वन रक्षक को जिम्मेदारी दी है कि इस बात की जानकारी की जाए कि जो प्रवासी पक्षी हैं वे फ्लू से संक्रमित हुए हैं या नहीं. अधिकारियों ने कहा कि यह वायरस हवा में तेजी से फैलता है और ज्यादातर पक्षियों को संक्रमित करता.
आपको बता दें कि हाल ही में मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में कम से कम 48 कौवे मृत पाए जाने के बाद इनमें एच5एन8 वायरस (बर्ड फ्लू) की मौजूदगी की पुष्टि हुई थी. इसके अलावा राजस्थान के नागौर जिले में एक झील में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए थे जिसमें पांच दिन में 60 से अधिक कौवों की मौत हो गई थी.
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