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BIG BREAKING: लिव इन पार्टनर के निधन के बाद संपत्ति पर दावा...हाईकोर्ट ने कही अहम बात

jantaserishta.com
19 Jun 2024 5:56 AM GMT
BIG BREAKING: लिव इन पार्टनर के निधन के बाद संपत्ति पर दावा...हाईकोर्ट ने कही अहम बात
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सांकेतिक तस्वीर

लिव इन पार्टनर के निधन के बाद संपत्ति पर दावा पेश कर रहा था।
बेंगलुरु: मद्रास हाईकोर्ट का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति शादीशुदा होने के बाद भी लिव इन रिलेशन में है, तो ऐसे संबंध को वैध नहीं माना जा सकता है। साथ ही अदालत ने विवाहेत्तर रिश्तों को 'लिव-इन रिलेशन' बताए जाने की भी निंदा की है। दरअसल, अदालत में संपत्ति से जुड़े एक विवाद पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें शादीशुदा पुरुष अपनी लिव इन पार्टनर के निधन के बाद संपत्ति पर दावा पेश कर रहा था।
ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ पी जयचंद्रन नाम के शख्स ने याचिका दाखिल की थी। इसपर जस्टिस आरएमटी टीका रमण सुनवाई कर रहे थे। 7 जून को जारी आदेश में कोर्ट ने कहा कि अगर दो वयस्क साथ रह रहे हैं, जिसमें एक की शादी किसी अन्य से हो चुकी है तो ऐसे में वह अपने कथित लिव इन पार्टनर की संपत्ति पर दावा पेश नहीं कर सकता है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय ने कहा, 'अगर दोनों अविवाहित होते और वयस्क होने के नाते दोनों पार्टियां अपने हिसाब से जीने का फैसला करते, तो स्थिति अलग होती। कोर्ट ने पाया है कि विवाहेत्तर संबंधों में शामिल वयस्क इसे लिव इन रिलेशन करार दे रहे हैं, जो गलत है और इसकी निंदा की जानी चाहिए।'
इस केस में जयचंद्रन और मार्ग्रेट अरुलमोझी बगैर विवाह के साथ रह रहे थे। जबकि, जयचंद्रन का विवाह हो चुका है और उसके 5 बच्चे थे। खास बात है कि उसने पत्नी से तलाक भी नहीं लिया था। अरुलमोझी और जयचंद्रन ने साथ रहने के दौरान घर खरीदा था, जिसका नाम सैटलमेंट डीड के जरिए अरुलमोझी के नाम पर कराया गया था। साल 2013 में अरुलमोझी का निधन हो गया था।
अब अरुलमोझी के निधन के बाद जयचंद्रन ने अपने आप सैटलमेंट डीड रद्द कर दी और घर सिर्फ उसके ही नाम करने की मांग कर दी। इसपर अरुलमोझी के पिता ने भी दावा पेश कर दिया और ट्रायल कोर्ट ने उनकी बात को माना। बाद में जयचंद्रन हाईकोर्ट गया। यहां उनके वकील ने अदालत को बताया कि दोनों बगैर शादी के पति-पत्नी के तौर पर साथ रहे थे। ऐसे में अरुलमोझी की संपत्ति का अधिकार जयचंद्रन को मिलना चाहिए।
जज साहब ने कहा कि जयचंद्रन और उसकी पत्नी के बीच तलाक नहीं होने के चलते उनके कथित 'लिव इन रिलेशन' को 'पति-पत्नी का कानूनी दर्जा नहीं दिया जा सकता।' हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। केस जारी रहा और बीच में ही अरुलमोझी के पिता का निधन हो गया। ऐसे में अदालत ने कहा कि दिवंगत के अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों का संपत्ति पर अधिकार है।
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