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पश्चिम बंगाल में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में काबिज हुईं ममता बनर्जी के लिए कुर्सी की चिंता बरकरार है। यदि अगले 71 दिनों में वह विधायक नहीं बनीं तो मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। यही वजह है कि तृणमूल कांग्रेस ने गुरुवार को एक बार फिर चुनाव आयोग जाकर यह अपील की कि राज्य में जल्द से जल्द उपचुनाव कराया जाए। ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए 5 नवंबर तक विधानसभा का सदस्य बनना होगा। टीएमसी नेता सौगत रॉय के नेतृत्व में टीएमसी के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के दफ्तर जाकर राज्य में जल्द उपचुनाव कराने की मांग की। टीएमसी ने इससे पहले भी दो बार अर्जी दी है तो खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी राज्य में बिना देरी किए उपचुनाव कराने की मांग कई बार कर चुकी हैं। सौगत रॉय ने कहा, ''हमने चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया है कि पश्चिम बंगाल में सात सीटों पर जल्द से जल्द उपचुनाव काराया जाए।''
दरअसल, ममता बनर्जी की पार्टी ने बंगाल में लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत तो हासिल कर लिया, लेकिन वह खुद बीजेपी नेता और अपने पूर्व सहयोगी शुभेंदु अधिकारी से नंदीग्राम सीट से हार गईं। नियम के मुताबिक, किसी ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री या मंत्री बनाया जा सकता है, जो विधानसभा या विधानपरिषद (जिन राज्यों में है) का सदस्य ना हो, लेकिन छह महीने के भीतर निर्वाचित होना अनिवार्य है। नंदीग्राम में शुभेंदु अधिकारी से करीब 2 हजार वोट से हारने के बाद ममता बनर्जी ने इस सीट पर चुनाव परिणाम को कोर्ट में चुनौती दी है। कोर्ट में इसकी अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी। इसका मतलब है कि नंदीग्राम पर कोर्ट के फैसले से पहले ममता बनर्जी को किसी और सीट से चुनाव जीतना ही होगा, नहीं तो उन्हें मुख्यमंत्री का पद त्यागना होगा। पश्चिम बंगाल में भवानीपुर, दिनहाटा, सुती, सांतिपुर, समसेरगंज, खारदाह और जांगीपुर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। ये सीटें मौतों या इस्तीफों की वजह से खाली हुई हैं।