राजस्थान में रिश्वत के बदले अस्मत मांगने के आरोपी RPS कैलाश चंद्र बोहरा पर शिकंजा कसते हुए राज्य सरकार ने कंपलसरी रिटायरमेंट दे दिया है. गृह विभाग ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश भी जारी कर दिए हैं. गृह विभाग के ग्रुप-(1) ने गृह विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेट्री अभय कुमार के हस्ताक्षर से अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश जारी हुए हैं. कैलाश चंद बोहरा की 24 साल 7 महीने सरकारी सेवा मानी है. कैलाश चंद बोहरा को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले सभी बेनिफिट मिलेंगे.
आरपीएस बोहरा के रिश्वत में अस्मत मांगने का मामला राजस्थान विधानसभा में गूंजा था. सरकार ने जवाब में बताया था कि बोहरा को निलंबित कर उन्हें बर्खास्त करने की प्रकिया शुरू कर दी गई है. संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने 15 मार्च को सदन में इसकी जानकारी दी थी. राज्य सरकार ने मई 2018 में गठित की गई हाई लेवल स्टेंडिंग कमेटी की सिफारिशों के आधार पर बोहरा की कंपलसरी रिटायर किया है. बता दें कि बोहरा के खिलाफ मिली शिकायत पर बोहरा पर शिकंजा कसने से पहले एसीबी ने पूरी तैयारी कर रखी थी. एसीबी को पास बोहरा को दोषी साबित करने के पर्याप्त मौजूद थे, जिसमें मोबाइल पर बातचीत की रिकार्डिंग है. बोहरा खुद को बचाने के लिए व्हाट्सएप कॉल करता था. आखिरकार एसीबी ने बोहरा को आपत्तिजनक हालत में पकड़ा था. रिश्वत में युवती से अस्मत मांगने के मामले में सरकार पूरी तरह से सख्त नजर आई.
राज्य सरकार ने 16 मार्च को आरोपी आरपीएस को सस्पेंड कर दिया था. इससे पहले राज्य सरकार ने आरोपी कैलाश चंद बोहरा को बर्खास्त करने की बात कही थी, लेकिन सरकार ने बर्खास्त करने के बजाय कंपलसरी रिटायरमेंट दिया है. आरोपी कैलाश चंद्र को एसीबी ने एक सप्ताह पहले एक पीड़िता की शिकायत पर रिश्वत के बदले अस्मत मांगने पर आपत्तिजनक हालात में रंगे हाथ पकड़ लिया था. कैलाश चंद गोरा फिलहाल जेल में है. एसीबी के अधिकारियों के मुताबिक पीड़िता ने एसीबी में शिकायत देकर बताया कि उसने पुलिस में 3 केस दर्ज कराये हैं. इनमें से एक दुष्कर्म का है. उसकी जांच आरपीएस बोहरा के पास थी। कार्रवाई के विरोध में बोहरा ने कई बार रुपयों की मांग की। इसके बाद घूस के रूप में अस्मत मांगी.