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11 माह तक ऑनलाइन घूमता रहा शिकायती पत्र, प्रधानमंत्री कार्यालय ने लिया संज्ञान

Admin Delhi 1
24 Dec 2022 3:07 PM GMT
11 माह तक ऑनलाइन घूमता रहा शिकायती पत्र, प्रधानमंत्री कार्यालय ने लिया संज्ञान
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देवभूमि हल्द्वानी न्यूज़: उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर प्रशासनिक अमला कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा ऑनलाइन माध्यम से भेजे गए शिकायती पत्र पर 11 माह तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसका खुलासा आरटीआई से हुआ है।

दरअसल, हल्द्वानी निवासी समाजसेवी हेमंत गोनिया, अतुल बिष्ट और गौलापार वासियों ने 12/01/2022 को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खेड़ा चौराहा अस्पताल की दुर्दशा के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को एक शिकायती पत्र भेजा था। पत्र में कहा गया कि अस्पताल की दीवारें और कमरें गिरने की कगार पर है। अस्पताल में बड़ी-बड़ी झाडियां उग चुकी थीं जिसे 1 माह तक उनके और गौलापार वासियों ने स्वच्छता अभियान चलाकर उसे साफ-सुथरा बनाया था। इस कार्य के लिए अस्पताल प्रशासन ने सभी लोगों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया था।





प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो समाजसेवी हेमंत गोनिया ने 19/08/2022 को आरटीआई लगाई। आरटीआई लगाने के बाद पता चला कि यह पत्र 15.1.2022 को प्राप्त हुआ था। जिसपर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा 1/02/2022 को कार्रवाई के लिए ऑनलाइन माध्यम से मुख्य सचिव उत्तराखण्ड को प्रेषित किया गया था। इससे पता चला कि मुख्य सचिव उत्तराखण्ड द्वारा 11 माह तक प्रधानमंत्री कार्यालय से ऑनलाइन माध्यम से भेजे गए पत्र पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके बाद समाजसेवी हेमंत गोनिया द्वारा मुख्य सचिव उत्तराखण्ड से आरटीआई के तहत इस संबंध में जानकारी मांगी गयी। जिसपर जवाब देते हुए मुख्य सचिव कार्यालय ने बताया कि उक्त पत्र को 19 दिसंबर 2022 को अनु सचिव उत्तराखण्ड शासन द्वारा महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इतने लंबे समय तक प्रधानमंत्री कार्यालय से ऑनलाइन माध्यम से भेजे गए पत्र पर किसी की नजर क्यों नहीं गयी। क्या उत्तराखण्ड का प्रशासनिक अमला प्रधानमंत्री कार्यालय से आए पत्रों का जवाब देना भी उचित नहीं समझता। यहां यह सवाल भी उठना लाजमी है कि जहां एक तरफ केन्द्र और राज्य की सरकारें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़ी-बड़ी बातें और घोषणाएं करती हों, वहीं दूसरी तरफ एक अस्पताल की शिकायत, जिसका खुद प्रधानमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लिया हो उसपर कार्यवाही न होना सरकार की बातों और घोषणाओं को खोखला साबित करता है।

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