शिमला। भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी एसजेवीएन के पास बिजली प्रोजेक्ट में लगाने के लिए 10000 करोड़ की फाइनांस सुविधा आ गई है। एसजेवीएन के सीएमडी नंदलाल शर्मा ने बताया कि घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं के एक समूह से अपनी आगामी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को फंडिंग करने हेतु 10,000 करोड़ रुपए की कंस्ट्रक्शन फाइनांस सुविधा …
शिमला। भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी एसजेवीएन के पास बिजली प्रोजेक्ट में लगाने के लिए 10000 करोड़ की फाइनांस सुविधा आ गई है। एसजेवीएन के सीएमडी नंदलाल शर्मा ने बताया कि घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं के एक समूह से अपनी आगामी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को फंडिंग करने हेतु 10,000 करोड़ रुपए की कंस्ट्रक्शन फाइनांस सुविधा हासिल की है। कंस्ट्रक्शन फाइनांस सुविधा पीएसयू निकाय एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा की गई एक अनूठी पहल है। नंद लाल शर्मा ने बताया कि एसजेवीएन लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली अधीनस्थ कंपनी एसजेवीएन ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड के साथ मिलकर यह पहल की है। कंस्ट्रक्शन फाइनांस को ऋणदाताओं से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और इसे ओवर-सब्सक्राइब किया गया। विस्तृत चर्चा के उपरांत पांच बैंकों अर्थात् डयूश बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और एमयूएफजी बैंक के प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया गया है। यह ऋण सुविधा रिवॉल्विंग प्रकृति की है, जो एसजेवीएन को अपनी परियोजनाओं की निर्माण आवश्यकताओं के अनुसार निरंतर आधार पर धन निकासी की अनुमति देती है।
यह सुविधा एसजेवीएन को अपनी निर्माणाधीन आरई परियोजनाओं के विकास की तीव्रता को सक्षम बनाएगी। यह सुविधा एसजेवीएन को वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने के भारत सरकार के लक्ष्य में अपना योगदान देने में सक्षम बनाएगी। नंद लाल शर्मा ने एसजेवीएन की सभी आगामी आरई परियोजनाओं हेतु फंड आसानी से उपलब्ध कराने की इस उपलब्धि को हासिल करने में एसबीआई कैप्स और एसजेवीएन टीम के प्रयासों की सराहना की। इन परियोजनाओं से रोजगार के अवसर सृजित होने, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने एवं नवीकरणीय ऊर्जा के दोहन में महत्त्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है। वर्तमान में एसजेवीएन का आरई पोर्टफोलियो 5090.5 मेगावाट है, जिसमें से 179.5 मेगावाट प्रचालनाधीन है, 1860 मेगावाट निर्माणाधीन है और 3051 मेगावाट कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है। कंपनी वर्ष 2026 तक 12,000 मेगावाट के अपने मिशन और वर्ष 2030 तक 25,000 मेगावाट के साझा लक्ष्य एवं वर्ष 2040 तक 50,000 मेगावाट की स्थापित क्षमता को प्राप्त करने के लिए उत्साह के साथ आगे बढ़ रही है।