भारत
इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, कोई भी भारतीय पत्नी अपने पति को साझा करना बर्दाश्त नहीं कर सकती
jantaserishta.com
3 May 2022 6:49 AM GMT
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि एक विवाहित महिला अपने पति के प्रति काफी पजेसिव (अंकुश रखने वाली) होती है। वह उसे किसी के साथ शेयर नहीं सकती है। ऐसी टिप्पणी करते हुए हाल ही में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ एक व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने खुद को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से बरी करने की मांग की थी। इस व्यक्ति की पत्नी ने कथित तौर पर इस वजह से आत्महत्या कर ली थी कि उसके पति ने उसे तलाक दिए बगैर दूसरी महिला से शादी कर ली थी।
जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने उसकी रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया कि भारतीय महिला किसी भी कीमत पर अपने पति को साझा नहीं कर सकती है। अदालत ने कहा कि किसी भी विवाहित महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसका पति किसी अन्य महिला के साथ साझा किया जा रहा है अथवा वह किसी अन्य महिला के साथ शादी करने जा रहा है। ऐसी स्थिति में उससे किसी तरह की समझदारी की उम्मीद नहीं की जा सकती। इस मामले में ऐसा ही हुआ जब महिला ने यह पता चलने के बाद आत्महत्या कर ली कि उसके पति ने किसी अन्य महिला के साथ गुपचुप शादी कर ली है।
आरोपी सुशील कुमार की पत्नी ने सितम्बर 2018 में उसके और परिवार के सभी सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 494, 504, 506, 379 के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी पहले से ही किसी अन्य महिला के साथ शादीशुदा था। उस शादी से उसके दो बच्चे हैं। इसके बाद उसने तलाक दिए बगैर तीसरी शादी कर ली है। महिला ने आरोपी और उसके परिवार के सदस्यों पर मारपीट, दुर्व्यवहार और गाली-गलौच करने का भी आरोप लगाया। आरोपी ने जब उसे छोड़ दिया और एक नई महिला को अपने घर में रख लिया तो महिला ने एफआईआर दर्ज करवाने का फैसला लिया और उसके तुरंत बाद जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली।
हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी ने स्वीकार किया है कि उसने सितम्बर 2018 में तीसरी बार शादी की थी। कोर्ट ने माना कि महिला द्वारा आत्महत्या के फैसले के पीछे एकमात्र कारण पति का तीसरा विवाह ही है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आरोपी की रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया।
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