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पूर्वी लद्दाख के आगे के क्षेत्रों का दौरा किया.
भारतीय सेना की टीमें ड्रोन और कैमरों से लैस होकर पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील से चीनी सैनिकों के पीछे हटने और उसके द्वारा स्थापित सैन्य बुनियादी ढांचे को हटाने की प्रक्रिया पर लगातार नजर बनाए हुए है. इसी कड़ी में मंगलवार को उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने पूर्वी लद्दाख के आगे के क्षेत्रों का दौरा किया.
पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी दोनों तटों पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया 20 फरवरी तक पूरी होने की उम्मीद है. इसके अलावा भारतीय सेना की टीम चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) टीम के साथ पैंगोंग झील पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया का भौतिक रूप से (फिजिकली) सत्यापन और पुन: सत्यापन करेगी.
Lt General YK Joshi, Northern Army Commander visited the forward areas of Eastern Ladakh to review the disengagement process: Indian Army pic.twitter.com/kbAsZ3ziCg
— ANI (@ANI) February 16, 2021
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि ये भारतीय सेना और चीनी पीएलए दोनों की ओर से एक संयुक्त निरीक्षण दल होगा. अधिकारी ने आगे कहा कि भारतीय सेना की टीमें सैन्य टुकड़ियों की जांच और सैन्य ठिकानों को हटाने की प्रक्रिया की निगरानी और इसका रिकॉर्ड रखने के लिए ड्रोन के साथ ही हाई-रिजॉल्यूशन कैमरों का उपयोग करेंगी. ये टीमें विशेष रूप से चीनी सैनिकों की तरफ से पैंगोंग झील के पास स्थापित किए गए सैन्य ठिकानों को हटाने की प्रक्रिया की निगरानी करेंगी.
चीन की ओर से फिंगर 7 क्षेत्र में एक सैन्य चौकी बनाने के अलावा लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली बंदूकें भी तैनात की गई थीं. इस इलाके में बंकरों का निर्माण किया गया था और हजारों पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों के ठहरने के लिए स्थायी संरचनाओं का निर्माण भी किया गया था. अधिकारी ने बताया कि हम भौतिक रूप से ये सत्यापित करेंगे कि क्या इलाके से प्रत्येक चीजें हटा दी गई हैं या नहीं. हम ये जांचने के लिए फिंगर 8 तक जाएंगे कि क्या सहमति शर्तों के अनुसार पीछे हटने की प्रक्रिया हो रही है या नहीं.
समझौते में कहा गया है कि चीनी सैनिक वापस फिंगर 8 में चले जाएंगे और भारतीय सेना पैंगोंग झील के उत्तरी तट के फिंगर 2 और 3 के बीच धन सिंह थापा की चौकी पर वापस आ जाएगी. इसके अलावा पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त सहित सैन्य गतिविधियों पर एक अस्थायी रोक होगी. पैंगोंग झील के किनारे पहाड़ की आकृति कुछ इस तरह से है कि ये अंगुलियों की तरह दिखती है और इसीलिए इन्हें फिंगर कहा जाता है. इनकी संख्या आठ है.
भारत जहां फिंगर 8 तक अपना क्षेत्र होने का दावा करता है, वहीं चीन ने फिंगर 4 तक दावा करते हुए विवाद पैदा कर दिया. पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच आठ किलोमीटर के फासले में दोनों सेनाओं के बीच कई बार आमने-सामने की भिड़ंत हो चुकी है. चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति बदलने के लिए फिंगर 4 और पैंगोंग झील के दक्षिण में अपने बहुत से जवान और अन्य साजो-सामान तैनात किया था.
पिछले साल तनाव के कारण चीन ने झील में फिंगर 8 से आगे नावों को तैनात किया था. एक बार सेनाएं पीछे जाने के बाद राजनयिक और सैन्य वार्ताओं में सहमति बनने के बाद ही गश्त फिर से शुरू होगी.नपैंगोंग झील के दक्षिण में जहां दोनों देशों की सेनाएं बिल्कुल आमने-सामने थीं, वहां से भी सेनाएं पीछे हटने लगी हैं. यहां कुछ स्थानों पर तो दोनों देशों के टैंक मात्र 100 मीटर के फासले पर थे.
एलएसी पर दोनों देशों के बीच करीब दस महीने से सैन्य गतिरोध बना हुआ है. पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर टकराव तब शुरू हुआ, जब चीनी सैनिकों ने पिछले साल मई में झील के अंदर और तट पर घुसपैठ करते हुए यथास्थिति बदलने का प्रयास किया था. धीरे-धीरे ये टकराव और क्षेत्रों में फैल गया. झील के दक्षिणी तट पर भारत ने चीन के मुकाबले पहाड़ियों पर अपनी सामरिक स्थिति काफी मजबूत कर ली थी. हालांकि अब दोनों देशों की ओर से गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई है, जिससे गतिरोध खत्म होता नजर आ रहा है.
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