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शाखा में आकर संघ को पहले समझें स्टीफन ब्राऊन

Shantanu Roy
25 Sep 2023 11:30 AM GMT
शाखा में आकर संघ को पहले समझें स्टीफन ब्राऊन
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जालंधर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2025 में अपनी यात्रा के 100 वर्ष पूरे कर लेगा। अपने 100 वर्ष की यात्रा में संघ ने अपने कार्य से समाज का विश्वास जीता है। यही कारण है कि जब मीडिया में आर.एस.एस. को लेकर भ्रामक जानकारी आती है तब सामान्य व्यक्ति चकित हो उठता है क्योंकि उसके जीवन में आर.एस.एस. सकारात्मक रूप में उपस्थित रहता है, जबकि आर.एस.एस. विरोधी ताकतों द्वारा मीडिया में उसकी नकारात्मक छवि प्रस्तुत की जाती है। संघ ने लंबे समय तक इस प्रकार के दुष्प्रचार का खंडन नहीं किया। अब भी बहुत आवश्यकता होने पर ही संघ अपना पक्ष रखता है। आज स्वयं की प्रेरणा से राष्ट्र, समाज, देश, धर्म तथा संस्कृति की सेवा करने वाले व उसकी रक्षा कर उसकी अभिवृद्धि के लिए प्रमाणिकता तथा नि:स्वार्थ भाव से कार्य करने वाले स्वयंसेवकों के शुद्ध चरित्र के कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से किसी समय वैचारिक मतभेद रखने वाले भी असीम प्रेम करने लगे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सर संघचालक डॉ. हैडगेवार अपने जीवनकाल में राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए चल रहे सामाजिक, धार्मिक, क्रांतिकारी व राजनीतिक क्षेत्रों के सभी समकालीन संगठनों व आंदोलनों से संबद्ध रहे व अनेक महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया। समाज के स्वाभिमानी, संस्कारित, चरित्रवान, शक्ति सम्पन्न, विशुद्ध देशभक्ति से ओत-प्रोत, व्यक्तिगत अहंकार से मुक्त व्यक्तियों के ऐसे संगठन जो स्वतंत्रता आंदोलन की रीढ़ होने के साथ ही राष्ट्र व समाज पर आने वाली प्रत्येक विपत्ति का सामना कर सके, की कल्पना के साथ संघ का कार्य शुरू हुआ। संघ शाखा के संपर्क में आए बिना कार्य की वास्तविक भावना समझ में आनी मुश्किल है। भारत की सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप संघ ने भगवा ध्वज को परम सम्मान के अधिकार-स्थान पर अपने सामने रखा है। संघ शाखा में आने से नेतृत्व के गुण पहले से ही विकसित होने लगते हैं। संघ शाखा में गट नायक, गण शिक्षक, मुख्य शिक्षक का दायित्व संभालते-संभालते स्वयंसेवक में अनुशासन का भाव और नेतृत्व के गुण उभरने लगते हैं जिससे उसका विकास होता रहता है। स्वयंसेवकों में कई नए गुण विकसित होते रहते हैं। शाखा में जाकर सभी को एक बड़ा परिवार मिलता है। अपने से बड़ों से मार्गदर्शन और स्नेह, छोटों की देखभाल और साथियों से सामंजस्य आदि के गुण मिलते हैं। शाखा में अपने क्षेत्र में प्रत्येक परिवार किस प्रकार आदर्श परिवार बन सके, उसके सभी सदस्य संस्कारवान व देशभक्त हों इसकी चिंता बराबर होती है।
Shantanu Roy

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