हर स्थान का इतिहास और संस्कृति की दृष्टि से विशेष महत्व होता है और प्राचीन समय की यादें संजोए रखने का कार्य करते हैं वहां के म्यूजियम. आगे आने वाली पीढ़ी को प्राचीन समय की कला संस्कृति से भी अवगत कराते हैं. खंडवा जिले के कलेक्टर ने म्यूजियम बन्द करने के आदेश सिर्फ इसलिये दे दिए क्योंकि वहां कोई आता नहीं है. इसके बाद पुरातात्विक विभाग के अधिकारियों ने प्राचीन प्रतिमाओं का भौतिक सत्यापन किया और बेशकीमती प्रतिमाओं को ओमकारेश्वर में स्थान्तरित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी.
खण्डवा कलेक्टर अनय द्विवेदी का मानना है कि म्यूजियम को देखने कोई भी नहीं आता इसलिए अब इसकी आवश्यकता नहीं है. कलेक्टर ने लॉकडाउन में म्यूजियम के मार्गदर्शक शैलेश दशोरे की 31 अगस्त 2020 को सेवाएं समाप्त करने के आदेश महज इस आधार पर दे दिए कि म्यूजियम में लोगों की आवाजाही नहीं है. म्यूजियम मार्गदर्शक शैलेश ने बताया कि इस म्यूजियम का उद्देश्य इधर उधर बिखरी प्रतिमाओं को संरक्षित करने का है. यहां 283 प्रतिमा एकत्रित हैं, जो नवीं शताब्दी से लेकर 16वीं शताब्दी तक की हैं. कई दुर्लभ प्रतिमा भी यहां संरक्षित हैं जिसमें द्वादश सूर्य प्रतिमा मुख्य है. ये म्यूजियम 26 जनवरी 1988 को स्थापित किया गया.
तकनीकी सहायक प्रभारी, संग्रहालय कसरावद सुल्तान सिंह आनंद ने बताया कि हमें आयुक्त महोदय का आदेश मिला है कि इन सभी प्रतिमाओं का भौतिक सत्यापन करके ओमकारेश्वर के संग्रहालय में शिफ्ट करना है. यहां दसवीं-ग्यारहवीं शताब्दी से लेकर सत्रहवीं-अठारहवीं शताब्दी तक की प्रतिमाएं हैं. हमें शासन से आदेश मिले हैं इसे शिफ्ट करने के, इसलिए यह कार्य कर रहे हैं.
खण्डवा से म्यूजियम हटाने के आदेश से जनता में आक्रोश है. लोगों का कहना है कि शहर को कोई सौगात मिलने में वर्षो लग जाते हैं और जो उपलब्ध है वो भी न रहे तो यह बहुत त्रासद है. कलेक्टर के आदेश पर लोगों ने सवाल उठाया और कहा कि उन्हें इसे बंद करने का कोई अधिकार नहीं है. भाजपा प्रवक्ता सुनील जैन ने कहा कि खण्डवा का नाम खांडव वन से पड़ा है. यहां बहुतायत में जैन प्रतिमा निकली हैं जो 11वीं सदी की हैं. 30 वर्ष पूर्व बहुत प्रयास के बाद यहां म्यूजियम स्थापित करवाया. लोग नहीं आते तो इसका मतलब ये नहीं कि इसे बंद कर दिया जाए. हम राजनीति के क्षेत्र से आते है, हमें पता है कोई एक चीज़ की घोषणा करवाने में बरसों लग जाते है ऐसे में बनी हुई चीज को हटाने का अधिकार जिला कलेक्टर को किसने दिया? इसे हटाने की जगह बचाया जाना चाहिये.