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Cold record broken in Bareilly: अधिकतम तापमान न्यूनतम के करीब पहुंचा ,तीन बार रेड अलर्ट

Uttar Pradesh : बरेली में साल दर साल सर्दी नया कीर्तिमान बना रही है। मौसम विभाग के पास 1884 से अब तक के आंकड़े मौजूद हैं। इसके मुताबिक वर्ष 2002 तक ऐसी स्थिति कभी नहीं बनी। वर्ष 2003 से 2024 तक 10 बार अधिकतम पारे ने न्यूनतम बिंदु को छुआ। इस वर्ष भी 17 जनवरी …
Uttar Pradesh : बरेली में साल दर साल सर्दी नया कीर्तिमान बना रही है। मौसम विभाग के पास 1884 से अब तक के आंकड़े मौजूद हैं। इसके मुताबिक वर्ष 2002 तक ऐसी स्थिति कभी नहीं बनी। वर्ष 2003 से 2024 तक 10 बार अधिकतम पारे ने न्यूनतम बिंदु को छुआ। इस वर्ष भी 17 जनवरी को ऐसी ही स्थिति बनी। विशेषज्ञ इसे जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बता रहे हैं।
मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बरेली के बड़ा बाजार में वर्ष 1884 में पायलट बैलून ऑब्जर्वेटरी की स्थापना हुई थी। बाद में इसे प्रेमनगर थाने के सामने और वर्ष 2017 में भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर में स्थानांतरित कर दिया गया।
तब से अब तक 10 बार अधिकतम तापमान का न्यूनतम चरम दर्ज हुआ है। वहीं, न्यूनतम तापमान का चरम करीब 25 साल पहले दर्ज हुआ था। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ विशेषज्ञ अतुल कुमार के मुताबिक 17 जनवरी का अधिकतम पारा (10.2 डिग्री सेल्सियस) बरेली के 140 वर्षों के इतिहास में 10वीं बार सबसे कम दर्ज हुआ है।
20वीं सदी में नहीं दिखी चरम स्थिति
विशेषज्ञ अतुल के मुताबिक वर्ष 1884 से 2002 तक अधिकतम तापमान के न्यूनतम चरम की स्थिति कभी नहीं बनी। जनवरी 2003 में पहली बार अधिकतम तापमान (10.1 डिग्री सेल्सियस) न्यूनतम स्तर पर दर्ज हुआ था। फिर आठ बार और चरम स्थिति दिखी थी। वर्ष 2024 में 10वीं बार यह स्थिति बनी है।
जानिए क्या है मौसम की चरम स्थिति और प्रभाव
चरम तापमान यानी अधिकतम के अत्यधिक न्यूनतम या न्यूनतम के अत्यधिक अधिकतम होने की स्थिति है। इसे सर्दी या गर्मी के मौसम में तापमान की असामान्य स्थिति कहते हैं। डॉ. सुदीप सरन ने बताया कि इस दशा में जनजीवन को जोखिम पहुंचने की आशंका रहती है। इसकी चपेट में आने से मनुष्य समेत पशु, वन्यजीव, पेड़-पौधों के लिए घातक स्थिति बन सकती हैं। लंबे समय तक चरम स्थिति बने रहने पर शीतदंश से शरीर के आंतरिक अंग प्रभावित होते हैं।
तीन बार जारी हो चुका है रेड अलर्ट
क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ रवि कुमार के मुताबिक बरेली में वर्ष 2011 और 2013 जनवरी में पांच बार रेड अलर्ट जारी हुआ था। इस साल अब तक तीन बार रेड अलर्ट हो चुका है। तीन बार ऑरेंज अलर्ट भी हुए। बारिश नहीं होने से शीत विकिरण बढ़ता जा रहा है। बारिश होने के बाद ही ठंड से राहत की उम्मीद है।
बरेली कॉलेज के भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ. अक्षय कुमार शुक्ला के मुताबिक जलवायु परिवर्तन से तापमान के चरम की स्थितियां बन रही हैं। 20वीं सदी के दौरान ही पारिस्थितिकी तंत्र से छेड़छाड़ शुरू हो गई थी। निम्नतम स्थिति की वजह से यह नजर नहीं आया। 21 शताब्दी में यह प्रभाव डालने लगा।
पृथ्वी की घूर्णन गति, अक्षांश की पेटी, महाद्वीपों में भी बदलाव हो रहा है। वहीं, प्रदूषण भी बेतहाशा बढ़ा है। बरेली में इन्हीं 20 वर्षों में औद्योगिक विकास के साथ वाहनों की संख्या भी बढ़ी जो तापमान की चरम स्थिति के लिए उत्प्रेरक बने हैं।
