चंडीगढ़। पंचकूला निवासी पंकज चांदगोठिया ने द कॉफी बीन एंड टी लीफ सेक्टर-10डी को मैसर्स विजन हॉस्पिटेलिटी सॉल्यूशंस, इंडस्टि्रयल एरिया, फेज-2 के जरिए पार्टी बनाया था।शिकायतकर्ता का कहना था कि 4 सितंबर 2023 को वह सेक्टर-10 में कॉफी पीने द कॉफी बीन एंड टी लीफ में गए थे। काउंटर पर कैशियर ने आर्डर देने के …
चंडीगढ़। पंचकूला निवासी पंकज चांदगोठिया ने द कॉफी बीन एंड टी लीफ सेक्टर-10डी को मैसर्स विजन हॉस्पिटेलिटी सॉल्यूशंस, इंडस्टि्रयल एरिया, फेज-2 के जरिए पार्टी बनाया था।शिकायतकर्ता का कहना था कि 4 सितंबर 2023 को वह सेक्टर-10 में कॉफी पीने द कॉफी बीन एंड टी लीफ में गए थे। काउंटर पर कैशियर ने आर्डर देने के लिए शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर मांगा। उन्हें कहा गया कि मार्किटिंग उद्देश्य से यह नंबर पॉलिसी के तहत लिया जाता है। कहा गया कि बिना मोबाइल नंबर लिए वह न तो ऑर्डर जारी कर पाएगा और न ही बिल जारी होगा। ऐसे में नाम और नंबर देने के बाद ऑर्डर जारी हुआ।
शिकायतकर्ता का कहना था कि 4 सितंबर 2023 को वह सेक्टर-10 में कॉफी पीने द कॉफी बीन एंड टी लीफ में गए थे। काउंटर पर कैशियर ने आर्डर देने के लिए शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर मांगा। उन्हें कहा गया कि मार्किटिंग उद्देश्य से यह नंबर पॉलिसी के तहत लिया जाता है। राज्य उपभोक्ता आयोग चंडीगढ़ ने सेक्टर-10 स्थित एक कॉफी शॉप को ऑर्डर के लिए उपभोक्ता के नाम और मोबाइल नंबर की जानकारी हासिल करने को गलत बताया है। इसके पीछे निजता के अधिकार का हवाला दिया गया है।
आयोग ने इसी वर्ष सितंबर में दायर शिकायत पर सुनवाई करते हुए इसे शिकायतकर्ता की निजी जानकारी डीलिट करने और भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के 26 मई, 2023 को जारी सर्कुलर की सख्ती से पालन करने को कहा है। वहीं, 2500 रुपये हर्जाना भरने के आदेश दिए हैं। साथ ही 10 हजार रुपये उपभोक्ता कानूनी सहायता खाते में जमा करवाने को कहा गया है। मामले में पंचकूला निवासी पंकज चांदगोठिया ने द कॉफी बीन एंड टी लीफ सेक्टर-10डी को मैसर्स विजन हॉस्पिटेलिटी सॉल्यूशंस, इंडस्टि्रयल एरिया, फेज-2 के जरिए पार्टी बनाया था।
शिकायतकर्ता का कहना था कि 4 सितंबर 2023 को वह सेक्टर-10 में कॉफी पीने द कॉफी बीन एंड टी लीफ में गए थे। काउंटर पर कैशियर ने आर्डर देने के लिए शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर मांगा। उन्हें कहा गया कि मार्किटिंग उद्देश्य से यह नंबर पॉलिसी के तहत लिया जाता है। कहा गया कि बिना मोबाइल नंबर लिए वह न तो ऑर्डर जारी कर पाएगा और न ही बिल जारी होगा। ऐसे में नाम और नंबर देने के बाद ऑर्डर जारी हुआ।
शिकायतकर्ता के नंबर पर लॉयलिटी वॉलेट और लॉयलिटी प्वाइंट जीतने के संदेश आए और कहा कि 3 नवंबर 2023 को यह समाप्त हो जाएंगे। इसे शिकायतकर्ता ने डार्क पैटर्न बताया और उपभोक्ता अधिकारों का हनन बताया। कहा गया कि ग्राहकों का निजी डाटा मार्केटिंग और अन्य उद्देश्यों के लिए लेने के बाद इसके लीक और हैक होने का खतरा है। वहीं, ग्राहकों को आगे शोषण सहना और अनचाही कॉल का सामना करना पड़ सकता है। चांदगोठिया ने कहा है कि कई कंपनियां ऐसा डाटा आगे मुनाफे के लिए बेच देती हैं।
प्रतिवादी पक्ष के कृत्य को सामान की गलत ढंग से बिक्री, सेवा में कौताही, अनैतिक व्यापारिक गतिविधियों में शामिल होना, गलत कांट्रेक्ट बताया गया। मामले में कॉफी का 383 रुपये का रिफंड, उनका डाटा डीलिट करने की मांग और 20 हजार रुपये हर्जाने समेत एक लाख रुपये दंडात्मक नुसान भरने की मांग की गई थी। इसके अलावा अदालती खर्च के रूप में 10 हजार रुपये भरने के लिए कहा गया था। वहीं प्रतिवादी पक्ष ने कहा था कि लॉयलिटी प्रोग्राम के तहत एच्छिक रूप से यह मोबाइल नंबर लिया जाता है। वहीं, इस डाटा का दुरुप्रयोग नहीं किया जाता। आयोग ने निजता के अधिकार का हवाला देते हुए अपना फैसला सुनाया।