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देश में कोयला संकट, 165 थर्मल पावर प्लांट्स को लेकर आया ये अपडेट

jantaserishta.com
30 April 2022 3:46 AM GMT
देश में कोयला संकट, 165 थर्मल पावर प्लांट्स को लेकर आया ये अपडेट
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नई दिल्ली: सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) की डेली कोल स्टॉक रिपोर्ट में कहा गया है कि 165 थर्मल पावर प्लांट्स में से 56 में 10 फीसदी या उससे कम कोयला बचा है और कम से कम 26 के पास 5 फीसदी से कम स्टॉक बचा है. भारत की 70 फीसदी बिजली की मांग कोयले से पूरी होती है.

डेटा में कहा गया है कि रेलवे ने कोयले की लोडिंग अधिक कर दी है, जो औसतन एक दिन में 400 है. यह पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक है. रेलवे अधिकारियों ने कहा कि नेशनल ट्रांसपोर्टर ने एक दिन में कोयला के लिए 533 रैक लगाए हैं, जो पिछले साल की तुलना में 53 अधिक है. गुरुवार को 427 रैक में 1.62 मिलियन टन कोयला लोड किया गया था.
देश के बड़े हिस्से को लंबे समय से बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार के कुशासन और कुप्रबंधन के कारण भीषण गर्मी में यह संकट पैदा हुआ है. कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार देश भर में बिजली प्लांट्स को कोयला उपलब्ध नहीं करा रही है जिससे बिजली संकट पैदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है और देश की सभी समस्याओं के लिए राज्यों को जिम्मेदार ठहरा रही है.
कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि देश के 16 राज्य रोजाना 10 घंटे तक बिजली कटौती करने को मजबूर हैं और 72,074 मेगावाट क्षमता वाले बिजलीघर कोयले की कमी के चलते काम नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि ये बिजली प्लांट्स क्यों नहीं चल रहे हैं. राज्यों को 12 रुपए प्रति मेगावाट पर बिजली खरीदने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है. 22 लाख टन कोयले की दैनिक मांग के बावजूद केवल 16 लाख टन की आपूर्ति क्यों की जा रही है. बिजली आपूर्ति की मांग और मौजूदा बिजली संकट को हल करने के लिए सरकार की क्या योजना है?
गौरव वल्लभ ने यह भी दावा किया कि कुल 173 प्लांट्स में से 106 के पास अपने सामान्य भंडार का 25 प्रतिशत से भी कम बिजली है और राज्यों को 12 रुपये प्रति मेगावाट तक बिजली खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है. कांग्रेस नेता ने कहा कि झारखंड जैसे राज्य जहां कोयला की खदानें हैं, वहां 17.5 प्रतिशत से अधिक बिजली की कमी है. कांग्रेस नेता ने कहा कि राजस्थान में 9.6 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 9 फीसदी, हरियाणा में 7.7 फीसदी और उत्तराखंड में 7.6 फीसदी बिजली की कमी है.
वल्लभ ने कहा कि बिजली, कोयला और रेलवे मंत्रालय को एक साथ बैठकर मौजूदा संकट का समाधान निकालना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि ये मंत्रालय अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं, जिससे यह स्थिति पैदा हुई है. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि बिजली संकट से औद्योगिक उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है.
वल्लभ ने पूछा कि अगर केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है तो उत्तर प्रदेश जैसे राज्य प्रतिदिन केवल चार घंटे बिजली की आपूर्ति क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि अगर आज स्थिति इतनी खराब है तो अगर देश में कोयले की भारी मांग होगी तो क्या होगा.
राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि ऐसा लगता है कि कुछ पूंजीवादी लोगों को लाभ पहुंचाने की साजिश है. राज्यों को कोयला उपलब्ध कराना केंद्र की जिम्मेदारी है. देश के 173 प्लांट्स में से 106 प्लांट्स में या तो 10 से 15 प्रतिशत कोयला है या उनका फ्यूल समाप्त हो गया है. डोटासरा ने कहा कि अपनी दोषपूर्ण नीतियों की अनदेखी करते हुए राज्यों पर बोझ डालना केंद्र सरकार की आदत बन गई है. उन्होंने कहा कि भाजपा केवल यह जानती है कि वोट काटने के लिए धार्मिक ध्रुवीकरण करना है.
वहीं, आने वाले दिनों में बिजली की मांग और बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि पूरे देश में आने वाले दिनों में गर्मी और बढ़ेगी.
केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कोयला कंपनियों के पास लगभग 73 मिलियन टन कोयले का भंडार है, जबकि थर्मल पावर प्लांट्स के पास 21.5 मिलियन टन कोयले का भंडार है. दिल्ली सरकार के आरोप पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दादरी और ऊंचाहार पावर प्लांट्स की 11 यूनिट्स पूरी क्षमता से चल रही हैं और उनके पास कोयले का 2.3 लाख टन भंडार है, जिसे डेली बेसिस पर भरा भी जाता है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार स्थिति की निगरानी कर रहा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गर्मी की वजह से अप्रैल में बिजली की मांग बढ़ी है और देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण आयातित कोयले की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण कुछ पावर प्लांट्स अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं, जिससे ये बिजली कटौती की समस्या और बढ़ गई है.
देश के अलग-अलग राज्यों में बिजली संकट को देखते हुए कोयला की पहुंच समय पर हो, इसलिए रेलवे ने 42 यात्री ट्रेनों को कैंसिल कर दिया है. इन ट्रेनों के कैंसिल होने से छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे कोयला उत्पादक राज्यों से आने-जाने वाले लोगों को असुविधा हो रही है. कोयला उत्पादक क्षेत्रों को कवर करने वाले दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) डिवीजन ने 34 यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया है, जबकि उत्तर रेलवे (एनआर) आठ ट्रेनों को रद्द कर दिया है.


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