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सीएम स्टालिन ने किया एलान, आरक्षण आंदोलन 1987 में पुलिस फायरिंग के पीड़ितों का बनेगा स्मारक

Kunti Dhruw
2 Sep 2021 3:03 PM GMT
सीएम स्टालिन ने किया एलान, आरक्षण आंदोलन 1987 में पुलिस फायरिंग के पीड़ितों का बनेगा स्मारक
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को तमिलनाडु विधानसभा में घोषणा करते हुए.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (Tamil Nadu Chief Minister MK Stalin) ने गुरुवार को तमिलनाडु विधानसभा में घोषणा करते हुए कहा कि 1987 में वन्नियार समुदाय की तरफ से आरक्षण के लिए एक आंदोलन के दौरान पुलिस गोलीबारी में मारे गए 21 लोगों के सम्मान में विल्लुपुरम जिले में एक स्मारक का निर्माण किया जाएगा. स्टालिन ने कहा कि मैंने विक्रवंडी (2019 में विल्लुपुरम में एक विधानसभा क्षेत्र) के उपचुनाव के दौरान सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वालों के बलिदान का सम्मान करने के लिए ये प्रतिबद्धता की थी. साथ ही कहा कि तमिलनाडु हमेशा सामाजिक न्याय के मामले में सबसे आगे रहा है.

स्टालिन ने कहा कि स्मारक का निर्माण 4 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम सरकार ने वन्नियार समुदाय के लिए 10.5 फीसदी आरक्षण को लागू करने के लिए जुलाई में एक आदेश पारित किया था. वहीं आरक्षण विधेयक को अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) सरकार ने इस साल फरवरी में अपनी सहयोगी वन्नियार जाति-आधारित पार्टी पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) को खुश करने के लिए पेश किया था. पट्टाली मक्कल काची पार्टी के संस्थापक 81 साल के एस रामदास थे, जो 1980 के दशक में आंदोलन में सबसे आगे थे.
1970 के दशक के अंत में रामदास ने वन्नियार समुदाय समूहों का एक गठबंधन बनाया
1970 के दशक के अंत में रामदास ने वन्नियार (Vanniyar) समुदाय समूहों का एक गठबंधन बनाया, जो बाद में वन्नियार संगम (Federation of Vanniyar) की छत्रछाया में एक साथ आया. ये पीएमके का मूल निकाय बना हुआ है. 1980 के दशक में संगम ने वन्नियारों को एमबीसी का दर्जा देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. साल 1987 में जब अन्नाद्रमुक के एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) मुख्यमंत्री थे, ऐसे ही एक आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में 21 लोग मारे गए थे. एमजीआर उस समय अमेरिका में अस्पताल में भर्ती थे. जब वो तमिलनाडु लौटे तो उन्होंने समूह के साथ चर्चा की, लेकिन उसी साल बाद में बातचीत के फलने-फूलने से पहले ही उनका निधन हो गया.
1989 में डीएमके के सत्ता में वापस आने पर आंदोलन शांत हो गए और तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने एमबीसी के लिए 20 फीसदी आरक्षण बनाया. वन्नियार उन 108 जाति समूहों में से थे जिन्हें आरक्षण में शामिल किया गया था, लेकिन समुदाय ने कहा कि उनका प्रतिनिधित्व और अवसरों तक पहुंच अभी भी बहुत कम थी. इस साल अप्रैल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पीएमके ने दशकों पुरानी इस मांग को फिर से जिंदा कर दिया और धमकी दी कि अगर उनकी आरक्षण की मांग पूरी नहीं हुई तो अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन से बाहर निकल जाएंगे.


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