भारत
CM केजरीवाल और जगन मोहन रेड्डी ने PM मोदी को लिखा पत्र, कहा- वैक्सीन के फार्मूले शेयर हो
Deepa Sahu
11 May 2021 2:46 PM GMT
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देश में कोरोनावायरस का प्रकोप फैला हुआ है और भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है.
देश में कोरोनावायरस का प्रकोप फैला हुआ है और भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है. इस बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. दोनों मुख्यमंत्रियों ने वैक्सीन बनाने में तेजी लाने के लिए मौजूदा टीकों के फार्मूला शेयर करने पर जोर दिया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री से कहा कि देश में टीका निर्माण बढ़ाने के लिए कोविड-19 रोधी टीके का निर्माण कर रही दो कंपनियों का 'फॉर्मूला' दूसरी कंपनियों के साथ साझा करें. अपने पत्र में केजरीवाल ने कहा कि पूरे देश की मांग को पूरा करने के लिए वैक्सीन डोज की वर्तमान आपूर्ति टिकाऊ नहीं है. भारत सरकार पेटेंट कानून का इस्तेमाल कर वैक्सीन उत्पादन के एकाधिकार को खत्म कर सकती है. इस तरह हम कोविड-19 की तीसरी लहर से पहले पूरे देश को एक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगे और लोगों के जीवन को बचाएंगे.
केजरीवाल ने कहा, 'कोविड की दूसरी लहर बहुत ही घातक है और यह बीमारी से कई लोगों की जान जाने के साथ गांवों तक पहुंच गई है. सभी नागरिकों का जल्द से जल्द टीकाकरण करने की आवश्यकता है. वर्तमान में केवल दो कंपनियां भारत में टीकों का निर्माण कर रही हैं. केवल दो कंपनियों के माध्यम से पूरे देश को वैक्सीन प्रदान करना संभव नहीं है. इसे युद्धस्तर पर वैक्सीन निर्माण में तेजी लाने की आवश्यकता है. मैं आपसे टीके के बड़े पैमाने पर उत्पादन की अनुमति देने का अनुरोध करता हूं. देश की हर कंपनी जिसके पास सुरक्षित उत्पादन की क्षमता है, उसे वैक्सीन का निर्माण करना चाहिए.'
जगन मोहन रेड्डी ने कहा, कोवैक्सिन की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की जाए
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा, 'हम आपसे अनुरोध करेंगे कि कृपया भारत बायोटेक को निर्देश दें कि कोवैक्सिन और ICMR-NIV के निर्माण में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करें ताकि जो कोई भी इच्छुक है और टीके के उत्पादन में सक्षम हो उसे वायरल स्ट्रेन प्रदान कर सके.' रेड्डी ने प्रधानमंत्री से यह भी अनुरोध किया कि कोवैक्सिन के बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) को वैक्सीन निर्माताओं को ट्रांसफर किया जाए ताकि उत्पादन और इनोक्यूलेशन दोनों में तेजी लाई जा सके, क्योंकि कोवैक्सिन की वर्तमान विनिर्माण क्षमता देश के टीकाकरण आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है.
उन्होंने लिखा, 'इस गति से सभी टीके लगने में कई महीने लग सकते हैं. कृपया ऐसी सभी उत्पादन फर्मों को शामिल करने की संभावना का पता लगाएं और उन्हें प्रौद्योगिकी, बौद्धिक संपदा अधिकारों के साथ वैक्सीन को जल्दी से जल्दी वितरित करने में सक्षम करें.' भारत की पहली स्वदेशी तौर पर विकसित कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन भारत बायोटेक और आईसीएमआर के बीच एक साझा प्रयास है. इसे SARS-CoV-2 स्ट्रेन का उपयोग करके विकसित किया गया था, जिसे पुणे में NIV में आइसोलेट किया गया था, जोकि ICMR के तहत कार्य करता है. ICMR और भारत बायोटेक ने संयुक्त रूप से भारत में क्लीनिकल ट्रायल और प्री-क्लीनिकल ट्रायल किया.
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