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AIIMS की स्टडी में दावा, टिका लेने के बाद कोरोना से दोबारा संक्रमित हुए लोगों में नहीं हुई किसी की मौत

Deepa Sahu
4 Jun 2021 11:20 AM GMT
AIIMS की स्टडी में दावा, टिका लेने के बाद कोरोना से दोबारा संक्रमित हुए लोगों में नहीं हुई किसी की मौत
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देश में कोरोना संकमण के प्रभाव को कम करने के लिए इस वक्त टीकाकरण ही सबसे बेहतर उपाय माना जा रहा है.

देश में कोरोना संकमण (Corona Virus) के प्रभाव को कम करने के लिए इस वक्त टीकाकरण ही सबसे बेहतर उपाय माना जा रहा है. हालांकि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि वैक्सीनेशन लेने के बाद कोरोना का खतरा बिल्कुल खत्म हो जाएगा लेकिन इससे जान का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है. इसी बीच एम्स की एक स्टडी सामने आई है जिसके मुताबिक वैक्सीन लेने के बाद जो लोग दोबारा कोरोना से संक्रमित हुए हैं, उनमें से किसी की भी मौत नहीं हुई है. एम्स ने ये स्टडी अप्रेल-मई 2021 के डाटा के आधार पर की है.

वैक्सीन लेने के बाद कोरोना संक्रमित होने पर इसे ब्रेकथ्रू इंफेक्शन कहा जाता है. अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की ओर से कहा गया है कि ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है जिनको पूरी तरह वैक्सीनेट होने के बाद संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती होना पड़ा या उनकी मौत हो गई.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रेकथ्रू इंफेक्शन पर दिल्ली के एम्स की तरफ से अप्रेल-मई में की गई पहली स्टडी के मुताबिक बहुत अधिक वायरल लोड होने के बावजूद, वैक्सीन लेने वाले लोगों में से किसी की भी कोरोना के कारण मौत नहीं हुई. 63 ब्रेकथ्रू इंफेक्शन में से, 36 रोगियों को ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ली थीं जबकि 27 लोगों ने कम से कम एक खुराक ली थी. दस रोगियों को कोविशील्ड टीका दिया गया था, जबकि 53 को कोवैक्सीन दी गई थी.
स्टडी में पाया गया है कि कुल सैंपल में से 36 (57.1 प्रतिशत) में कोरोना का SARS-CoV-2 मिला. इनमें से 19 (52.8 फीसदी) मरीजों ने वैक्सीन की दोनों डोज ली थीं जबकि 17 (47.2 फीसदी) मरीजों ने एक ही डोज ली थी. भारत में सबसे पहले सामने आए B.1.617 वैरिएंट को तीन प्रजातियों में बांटा गया, B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3. इनमें से B.1.617.2 प्रजाती 23 सैंपलों (63.9 फीसदी) में मिली जिसमें से 12 ऐसे थे जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ली जबकि 11 ने एक ही डोज ली थी. वहीं B.1.617.1 प्रजाती 4 सैंपलों ( 11.1 फीसदी) और B.1.1.7.3 प्रजाती 1 सैंपल (2.8 फीसदी) में पाई गई. इन सभी ब्रेकथ्रू इंफेक्शन के मामलों में मरीजों को 5-7 दिनों तक तेज बुखार था लेकिन इनमें से कोई भी घातक नहीं हुआ.


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