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बीकानेर। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने गुरुवार को बीकानेर में ई-कोर्ट सुविधा शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यहां बसे वकील अब शहर से ही प्रैक्टिस कर सकेंगे। सीजेआई ने बीकानेर में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के सभागार में कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि देश का सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के तिलक मार्ग पर स्थित है। लेकिन यह तिलक मार्ग का सुप्रीम कोर्ट नहीं है, यह भारत का सुप्रीम कोर्ट है। इसी तरह, राजस्थान हाईकोर्ट भी केवल जयपुर या जोधपुर का नहीं है, यह पूरे राजस्थान का है। अब, बीकानेर के वकील यहीं से हाईकोर्ट में प्रैक्टिस और वकालत कर सकेंगे।
भारत सरकार ने ई-कोर्ट फेस 3 प्रोजेक्ट के लिए 7 हजार करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है। इस फंड से बीकानेर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। सीजेआई ने कहा, ''देश की किसी भी अदालत में अदालती फैसले स्थानीय भाषा में होने चाहिए। जब मैं दिल्ली में बैठकर किसी वकील या जज के लिए फैसला कर रहा हूं तो वह किसी खास भाषा में हो सकता है, लेकिन अगर मैं आम आदमी के लिए कोई फैसला कर रहा हूं तो वह सरल भाषा में होना चाहिए।''
सीजेआई ने आगे कहा कि लोकतंत्र और भारत के संविधान के बीच एक संबंध है। संविधान को समझने से लोकतंत्र की समझ भी विकसित होती है। संविधान के संदेशों को हर व्यक्ति तक पहुंचाने की जरूरत है। संविधान की भावना को हर नागरिक तक पहुंचाना होगा। सीजेआई ने कहा कि भारत के संविधान के निर्माण में बीकानेर का बड़ा योगदान है। संविधान सभा के 284 सदस्यों में से एक बीकानेर से जसवंत सिंह थे। बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह को चैंबर ऑफ प्रिंसेस के पहले चांसलर के रूप में चुना गया था। भारत का संविधान बीकानेर से करीब से जुड़ा हुआ है। इससे पहले कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि चैंबर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर के तौर पर महाराजा गंगा सिंह उसी स्थान पर बैठते थे जहां शुरुआत में मुख्य न्यायाधीश बैठते थे।
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