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नई दिल्ली: देशभर के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में नगर वन स्थापित किए जा सकते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित विश्वविद्यालय और कॉलेज अपने परिसरों में इस प्रकार के नगर वन को विकसित करेंगे। शिक्षा संस्थानों के भीतर नगर वन बनाने के लिए बकायदा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से संपर्क किया है।
यूजीसी के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन ने इस संबंध में देशभर के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कॉलेजों एवं शिक्षण संस्थानों के प्राचार्यों को एक अधिकारी पत्र जारी किया है।
प्रोफेसर रजनीश जैन ने पत्र के माध्यम से उच्च शिक्षण संस्थानों और उनके संबद्ध कॉलेजों, संस्थानों से अनुरोध किया है कि वह अपने संस्थान परिसरों में नगर वन या वाटिका विकसित करें। शिक्षण संस्थान इसके लिए राज्यों के वन विभाग से समन्वय कर सकते हैं। यूजीसी के मुताबिक नगर वाटिका परियोजनाओं के निर्माण के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय आवश्यक सहायता प्रदान करेगा। नगर वन योजना के विस्तृत दिशानिर्देश उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
यूजीसी का कहना है कि भारत सरकार देश में वन और वृक्षों के आवरण को बढ़ाने के लिए विभिन्न नीतियों और योजनाओं के माध्यम से वृक्षारोपण गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है। नगर वन योजना (एनवीवाई) राष्ट्रीय वन नीति के अनुरूप राष्ट्र के हरित लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) की पहलों में से एक है। इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य नगर वन या वाटिका विकसित करके शहरी क्षेत्रों में हरित स्थान बनाना और कस्बों के किनारे की वन भूमि को क्षरण और अतिक्रमण से बचाना है।
यूजीसी के मुताबिक शहरी परि²श्य में सामाजिक और पर्यावरण के लिए वनों में जैव विविधता के विकास में स्थानीय निवासियों और विभिन्न एजेंसियों को सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए योजना तैयार की गई है। मंत्रालय ने इस योजना के तहत 1000 नगर वाटिका के विकास की परिकल्पना की है और अब तक देश के 29 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 250 नगर वाटिका परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
देशभर के विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों को भेजे गए पत्र में यूजीसी ने बताया है कि एनवीवाई को नेशनल अथॉरिटी ऑफ कॉम्पेंसेटरी अफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी (सीएएमपीए) के फंडिंग से लागू की जा रही है। इस योजना के दायरे को बढ़ाने और अधिक क्षेत्र को कवर करने के लिए, अब यह परिकल्पना की गई है कि नगरपालिका सीमा के 10 किमी के भीतर नगर वन के विकास की अनुमति दी जाए।
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