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भारतीय सेना ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक कॉर्पोरल वांग या लांग को चीन को सौंप दिया है. चुशूल-मोल्दो मीटिंग प्वॉइंट पर देर रात चीनी सैनिक को सौंपा गया. गौरतलब है कि लद्दाख के डेमचोक में कथित रूप से भूलवश आए चीनी सैनिक को भारतीय सेना ने हिरासत में लिया था. चीन ने दावा किया था कि उसका ये सैनिक गलती से भारतीय सीमा में प्रवेश कर गया था.
भारतीय सेना द्वारा पकड़े गए पीएलए सैनिक की पहचान कॉर्पोरल वांग या लांग के रूप में हुई थी. वह 19 अक्टूबर 2020 को पूर्वी लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में भटक गया था. हिरासत में लेने के बाद भारतीय सेना ने मिसाल पेश करते हुए पीएलए सैनिक को अत्यधिक ऊंचाई और कठोर जलवायु परिस्थितियों से बचाने के लिए ऑक्सीजन, खाना और गर्म कपड़े सहित चिकित्सा सहायता दी थी.
भारत को था जासूसी का शक
भारत को आशंका था कि दोनों देशों के बीच जारी तनाव के दौरान कहीं ये चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में जासूसी तो नहीं कर रहा था, लेकिन पीएलए ने दावा किया कि उसका एक सैनिक चरवाहे की याक ढूंढने में मदद करते हुए रात को खो गया था और इस दौरान वह भारतीय सीमा में आ गया. अंतरराष्ट्रीय नियमों और प्रचलित परंपराओं को सम्मान करते हुए भारत तुरंत इस सैनिक को वापस करने पर राजी हो गया था.
भारतीय सेना ने कहा था- सैनिक को वापस कर दिया जाएगा
लद्दाख के चुमार-डेमचोक इलाके में एक चीनी सैनिक को भारतीय जवानों ने सोमवार को पकड़ा था. सूत्रों के मुताबिक सेना ने संभावना जताई थी कि हो सकता है यह सैनिक अनजाने में बॉर्डर क्रॉस कर गया हो. सेना ने अपने बयान में कहा था, ''पूर्वी लद्दाख के डेमचोक में पीएलए के एक सैनिक कॉर्पोरल वांग यां लॉन्ग को पकड़ा गया, वह वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भटक रहा था. पकड़े गए पीएलए सैनिक को ऑक्सीजन, भोजन और गर्म कपड़े सहित चिकित्सा सहायता मुहैया करायी गयी है.''
सेना ने कहा कि स्थापित व्यवस्था (प्रोटोकॉल) के तहत पकड़े गए पीएलए सैनिक को लद्दाख में चुशूल-मोल्डो बैठक स्थल पर चीनी अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा.
भारत चीन सीमा पर पिछले छह महीने से तनाव
बता दें कि पिछले करीब छह महीने से भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव है. इस गतिरोध को कम करने के लिए कई दौर की राजनयिक और सैन्य स्तर पर बैठकें हो चुकी हैं. हालांकि कुछ खास नतीजे नहीं निकले हैं. सात दौर की सैन्य वार्ता हुई है. 21 सितंबर को छठे दौर की सैन्य वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने कई फैसलों की घोषणा की थी.
इसमें अग्रिम क्षेत्रों में और अधिक सैनिकों को नहीं भेजने, एकतरफा रूप से जमीन पर स्थिति को बदलने से बचने और ऐसी कोई भी कार्रवाई करने से बचना शामिल था जिससे मामला और जटिल हो जाए. तनाव को देखते हुए भारत और चीन ने भारी संख्या में सीमा पर जवानों की तैनाती की है.