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नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार पाकिस्तानी सैन्य तंत्र को मजबूत करने के लिए चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में सीमा चौकियों और गांवों का सर्वेक्षण कर रहे हैं
नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार पाकिस्तानी सैन्य तंत्र को मजबूत करने के लिए चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में सीमा चौकियों और गांवों का सर्वेक्षण कर रहे हैं. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. सूत्रों ने यह भी कहा कि भारतीय सुरक्षा बल सर्वेक्षण के पीछे के उद्देश्यों और गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं.
सूत्र ने बताया कि एक महीने पहले चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के करीब चार दर्जन जवान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के सामान्य इलाके (जनरल एरिया) केल, जुरा और लीपा सेक्टर में पहुंचे थे.
भारतीय सशस्त्र बलों का कहना है कि ये क्षेत्र - केल, जुरा और लीपा - उन क्षेत्रों में से हैं जहां से पाकिस्तान आतंकवादियों को भारतीय क्षेत्र में धकेलता है.
सूत्र ने कहा कि 40 से अधिक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान इन क्षेत्रों में आए हैं और उन्होंने खुद को पांच या छह के समूहों में विभाजित किया है. उन्होंने कई गांवों का दौरा किया और वे पाकिस्तानी सेना की चौकियों तक भी पहुंचे. सूत्र ने आगे कहा कि चीनी सैनिकों ने कश्मीर घाटी तक पहुंचने के लिए आतंकवादियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले घुसपैठ के मार्गों का सर्वेक्षण भी किया.
इन समूहों के साथ पाकिस्तानी सेना के जवान, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के अधिकारी और दुभाषिए या अनुवादक भी थे, ताकि उन्हें बातचीत में कोई दिक्कत न हो. सूत्र ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गांवों में चीनी सैनिकों की यात्रा इन क्षेत्रों में मॉडल विलेज के निर्माण का संकेत देती है - जिनका उपयोग नागरिक और सेना दोनों कर सकते हैं.
इन क्षेत्रों में जाने वाले चीनी सैनिकों के मुद्दे पर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सवाल करते हुए कहा, "क्या चीनी नियंत्रण रेखा के साथ मॉडल गांवों के निर्माण में पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं, जैसा कि उन्होंने भारत के साथ लगती सीमाओं पर किया है."
पिछले हफ्ते, अमेरिकी रक्षा विभाग ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) से जुड़े सैन्य और सुरक्षा घटनाक्रम पर कांग्रेस को सौंपी गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में चीन की विस्तारवादी सोच के प्रति चेताया था. उस रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के बीच भारत के अरुणाचल प्रदेश से लगते विवादित क्षेत्र के अंदर एक बड़ा 100 घरों का नागरिक (असैन्य) गांव बसाया है. अमेरिकी रिपोर्ट के बारे में हालांकि एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि उक्त गांव 1959 से चीनी नियंत्रण में है.
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