नई दिल्ली: चीन प्रोपोगेंडा फैलाने से बाज नहीं आ रहा है। अब उसने तिब्बत के साथ कुछ ऐसा ही खेल खेला है। चीन की मीडिया में तिब्बत को झिजैंग नाम दिया गया है। इसको लेकर तिब्बत के लोगों ने भी ऐतराज जताया है। असल में चीन ने एक व्हाइट पेपर जारी किया है। इसे शीर्षक दिया गया है, ‘नए समय में झिजैंग में शासन को लेकर सीपीसी की नीतियां: अप्रोच और अचीवमेंट्स’। इसमें साल 2012 शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद तिब्बत में हुए विकास कार्यों के बारे में बताया गया है।
गौरतलब है कि बीते सालों में चीन ने तिब्बत पर कई व्हाइट पेपर जारी किए हैं। लेकिन यह पहली बार है जब चीन ने तिब्बत के लिए झिजैंग नाम का इस्तेमाल किया है। यह रिपोर्ट साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में पब्लिश की है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह से नाम बदलना दिखाता है कि चीन तिब्बत की संप्रभुता पर अधिकार जताना चाह रहा है। हालांकि तिब्बती सरकार के राष्ट्रपति ने सोमवार को चीन के ऊपर आरोप लगाए। उन्होंने कहाकि चीन यहां पर लोगों के बेसिक ह्यूमन राइट्स का उल्लंघन कर रहा है। साथ ही तिब्बत की पहचान में दखल देने का भी आरोप लगाया है।
चीन द्वारा इस तरह से तिब्बत का नाम बदलने की कोशिश इसकी इस क्षेत्र पर दखल बढ़ाने की कोशिश है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग विशेष रणनीति के तहत इस तरह की चीजें कर रहे हैं। वहीं, विशेषज्ञों का भी कहना है कि इस तरह से तिब्बत का नाम बदलना, चीन की साजिश है। गौरतलब है कि अगस्त में यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट, जो कि चीन और इसके बाहर नॉन-पार्टी इंडिविजुअल्स व ग्रुप्स को डील करता है, उसने अपने वीचैट अकाउंट पर कहा था कि तिब्बत नाम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित करता है। वहीं, अक्टूबर में चीन के विदेश मंत्रालय ने अंग्रेजी अनुवाद में झिजैंग शब्द का इस्तेमाल किया था। हालांकि उससे पहले तिब्बत शब्द का ही इस्तेमाल होता रहा है।
10 नवंबर को व्हाइट पेपर रिलीज होने के दिन से 8 दिसंबर तक चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने अंग्रेजी भाषा की वेबसाइट पर 128 आर्टिकल्स में तिब्बत के लिए झिजैंग शब्द का इस्तेमाल किया है। हालांकि उससे पहले अगर नजर डालें तो तिब्बत शब्द का ही ज्यादा इस्तेमाल हुआ है। बता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने अपनी सीमा से सटे किसी भारतीय इलाके को लेकर दखलअंदाजी दिखाई है। इससे पहले अप्रैल में बीजिंग ने एक नया नक्शा जारी किया था, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को नए नामों के साथ अपने क्षेत्र का हिस्सा बताया गया था।