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चीन ने भारत को लेकर कहा- गोलियों से बेहतर है कि एक-दूसरे को मिठाई भेजें, पढ़े बड़ी बातें

jantaserishta.com
5 Jan 2022 8:15 AM GMT
चीन ने भारत को लेकर कहा- गोलियों से बेहतर है कि एक-दूसरे को मिठाई भेजें, पढ़े बड़ी बातें
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नई दिल्ली: चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माने जाने वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारतीय राजनेताओं को चीन विरोधी भावना से नए साल की मिठाई को बुलेट में नहीं बदलना चाहिए. नए साल 2022 की शुरुआत में भारत और चीनी सैनिकों ने सीमा पर एक-दूसरे को मिठाइयां बांटी थीं. लेकिन इसी दिन ग्लोबल टाइम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें दावा किया गया था कि नए साल के मौके पर गलवान घाटी में चीन ने अपना झंडा फहराया है. इस घटना के बाद एक बार फिर दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ गया.

'गोलियों से बेहतर है कि एक-दूसरे को मिठाई भेजें'
ग्लोबल टाइम्स ने एक संपादकीय लेख छापा है जिसमें लिखा है, 'सीमा पर चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच प्रमुख त्योहारों पर मिठाइयों के आदान-प्रदान की परंपरा रही है. यह पिछले दो वर्षों में सीमा संघर्ष के बाद रुका हुआ था. इस साल जब इस परंपरा को शुरू किया गया. सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इसे काफी सराहा है. एक चीनी नागरिक ने कहा कि गोलियों से बेहतर है कि एक-दूसरे को मिठाई भेजें. लेकिन दुर्भाग्य से, भारत में विपक्ष ने मोदी सरकार पर 'चीन के सामने आत्मसमर्पण करने' का आरोप लगाया है. विपक्ष को इस घटना को उछालने का मौका मिल गया है.'
'ऐसे लोग मोदी की विदेश नीति प्रभावित नहीं कर सकते'
रिपोर्ट में लिखा गया है, 'मिठाई बांटने को भी बड़ा मुद्दा बनाया जा सकता है. यह इस बात का प्रतीक है कि चीन-भारत संबंध स्थिर हो रहे हैं, लेकिन समय-समय पर इसमें तल्खी भी आई है. इसका एक कारण ये है कि भारत में कुछ कट्टरपंथी चीन विरोधी लोग हैं. ये लोग चीन-भारत के संबंधों को 1962 के सीमा संघर्ष को मुद्दा बनाकर कमजोर नहीं कर सकते हैं. बल्कि भारत में तेजी से ध्रुवीकरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है और ये लोग 'विरोध के लिए विरोध करते हैं.'
'हालांकि, ऐसे लोग मोदी प्रशासन की विदेश नीति को प्रभावित नहीं कर पाए हैं, तो उनका विरोध और बढ़ रहा है. भारतीय समाज में एक ऐसा माहौल बनता दिख रहा है जो चीन की प्रशंसा करता है लेकिन चीन के साथ सहयोग को राजनीतिक रूप से गलत बताता है.'
'विपक्षी राजनीतिक लाभ के लिए चीन-भारत संबंधों पर उछाल रहे कीचड़'
ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि भारत की घरेलू राजनीति अमेरिका के घरेलू राजनीति की तरह ही तेजी से बंट रही है. कुछ कट्टरपंथी नेता अपने राजनीतिक लाभ के लिए चीन-भारत संबंधों पर बेईमानी से कीचड़ उछाल रहे हैं. ये नेता लोगों में चीन-विरोधी मानसिकता पैदा कर रहे हैं. और ऐसे में भारत एक महाशक्ति बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को साकार नहीं कर पाएगा.
अखबार ने प्रधानमंत्री मोदी के उस बात का भी जिक्र किया है जिसमें पीएम ने 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही थी. चीनी मीडिया लिखता है कि सरकार की ये महत्वाकांक्षा बताती है कि भारत की पहली प्राथमिकता विकास है न कि युद्ध.
ग्लोबल टाइम्स के लेख में भारत को सलाह दी गई है कि भारत के नीति- निर्माताओं को चीन के साथ रिश्तों को एक खुले दिमाग के साथ संभालना चाहिए.
ग्लोबल टाइम्स आगे लिखता है, 'साथ ही, भारत को घरेलू लोकलुभावन आवाजों से सावधानी से निपटने की जरूरत है, जिससे उन्हें किसी भी मुद्दे पर हावी होने से रोका जा सके. कुछ अर्थों में, भारत सरकार के निर्णय लेने की तर्कसंगतता काफी हद तक घरेलू कट्टरपंथी विचारों को शांतिपूर्वक निपटाने पर निर्भर करती है.'
'अमेरिका और पश्चिमी देश उठा रहे भारत का फायदा'
चीनी मीडिया ने लिखा है कि भारत का मीडिया अमेरिका और पश्चिमी देशों की चीन विरोधी बातों को विस्तृत रूप से दिखाता है. इससे भारत के पढ़े-लिखे संभ्रांत वर्ग में चीन के प्रति नकारात्मक भाव बनता है. हाल के दिनों में अमेरिका और पश्चिमी देश एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत को अधिक महत्व दे रहे हैं. लेकिन भारत के संभ्रांत वर्ग को ये समझना चाहिए कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की असली मंशा चीन-भारत के झगड़े को भड़काकर खुद को फायदा पहुंचाना है.
संपादकीय में चीनी राष्ट्रपति के भारत दौरे का भी जिक्र किया गया है और लिखा गया है कि जब शी जिनपिंग नरेंद्र मोदी से मिले थे तब उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि चीन अपने साथ-साथ भारत का भी विकास चाहता है. दोनों देशों को अपने-अपने लक्ष्य हासिल करने में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए.
भारत और चीन के बढ़ते व्यापार का भी जिक्र किया गया है और कहा गया है कि भारत-चीन राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना पारस्परिक लाभ हासिल कर सकते हैं. सीमा विवाद के बाद भारत में चीनी एप्स पर प्रतिबंध को लेकर ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि भारत की राजनीति हमेशा उसके बाजार की डिमांड पर भारी रही है.
भारत को एक तरह से चेतावनी देते हुए ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया है, 'भारत के नेताओं को अपने राजनीतिक लाभ के लिए नए साल की मिठाईयों को गोलियों में नहीं बदलना चाहिए. इससे भारत को फायदे से ज्यादा नुकसान होगा.'
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