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चीन लगातार भारत के साथ नए विवादों को दे रहा है हवा

Admin Delhi 1
17 May 2023 6:09 AM GMT
चीन लगातार भारत के साथ नए विवादों को दे रहा है हवा
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दिल्ली: भारत और चीन के संबंध सुधारने की दिशा में कोई भी सकारात्मक स्थिति बनती दिखाई नहीं दे रही है. इस बीच चीन में लगातार जारी अपनी आक्रामक विदेश नीति और अतिक्रमण कारी सोच का परिचय देते हुए अरुणाचल प्रदेश के संबंध में एक नए विवाद को जन्म देने का प्रयास किया है.

याद हो कि गलवान सैन्य विवाद (2020) के बाद हुई लगभग 18 राउंड की बॉर्डर वार्ता में दोनों देश किसी ठोस सहमति पर पहुंचने में असफल रहे हैं. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) बैठक 2023 से पहले हुई दोनों देशों के रक्षा मंत्री स्तर की वार्ता में भी राजनाथ सिंह ने लगातार बने हुए ‘बॉर्डर विवाद’ को आपसी संबंधों में बड़ी चुनौती माना.

लेकिन चीनी रक्षा मंत्री का ज़ोर इस विवाद को दूरदर्शी परिपेक्ष्या में देखने पर था इसके अलावा एलएसी से सटे हुए देपसांग वैली और चारडिग नाला क्षेत्र में अभी भी भारतीय सेना की पेट्रोलिंग पर चीन का विरोध है, जो कि गलवान से पहले भारत परंपरागत रूप में करता रहा है.

चीन लगातार भारत के साथ नए विवादों को हवा दे रहा है:

लगभग एक लाख से अधिक सैन्य बलों की दोनों तरफ से बॉर्डर पर तैनाती है. जाहिर तौर पर दोनों देशों के बीच और बॉर्डर पर स्थितियां बहुत ही असामान्य और चुनौतीपूर्ण है. इन सब के बीच चीन लगातार भारत के साथ नए विवादों को हवा दे रहा है. अभी कुछ दिन पहले ही उत्तराखंड में चीन बॉर्डर के नजदीक बाराहोती क्षेत्र में अतिक्रमण का प्रयास हुआ था, साथ ही प्रदेश के कालापानी क्षेत्र के नजदीक सांगपो नदी पर चीन ने बड़े डैम निर्माण के माध्यम से भारत की ओर जाने वाले जल प्रवाह को बाधित करने का प्रयास शुरू किया है. भारत और चीन के बीच किसी भी प्रकार के जल समझौते के आभाव में चीन इस प्रकार की चुनौतियां खड़ी करता रहता है. इसका प्रभाव साउथ एशिया के निचले नदी तटीय (Lower Riparian States) देशों पर भी पड़ता है.

जिसके प्रति चीन का रवैया अक्सर आक्रामक होता है. इसी कड़ी में एक नए विवाद को जन्म देते हुए चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश प्रांत के अंतर्गत 11 जगहों को नया नाम दिया. इन्हे चीन की कैबिनेट स्टेट काउंसिल द्वारा चीनी और तिब्बती भाषा में जारी किया गया, इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश में स्थित पांच पहाड़ी चोटियों ,दो नदियों और 2 रिहायशी क्षेत्रों की भी भौगोलिक वस्तु स्थिति को भी बताया गया. ज्ञात हो की इसी प्रकार से चीन ने सबसे पहले 2017 में भारत के अरुणाचल क्षेत्र को दक्षिण तिब्बत के नाम से प्रयोग करना शुरू किया था. चीन लगातार अरुणाचल के सम्बन्ध में भारत के प्रति आक्रामक रुख अपनाता रहा है. भारतीय नेताओं की अरुणाचल यात्रा पर भी वो अपनी प्रतिक्रिया देता रहा है.

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