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राफेल से खौफ खा रहा चीन, भारत से सटे एयरबेस को तेजी से कर रहा मजबूत

Teja
23 July 2022 6:53 PM GMT
राफेल से खौफ खा रहा चीन, भारत से सटे एयरबेस को तेजी से कर रहा मजबूत
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भारत के राफेल फाइटर जेट्स से चीनी वायुसेना सकते में है. राफेल के खौफ से चीनी वायुसेना एलएसी (LAC)के करीब एयर बेस राफेल से खौफ खा रहा चीन, भारत से सटे एयरबेस को तेजी से कर रहा मजबूतपर ऐसे नए हैंगर तैयार कर रही है जिनपर 500 किलो तक के बम, क्रूज मिसाइल और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग बम से भी कोई नुकसान ना हो सके. जानकारी के मुताबिक, चीन ऐसा राफेल के हमलों से बचने के लिए कर रहा है. ये रिपोर्ट्स ऐसे समय में सामने आई हैं जब पूर्वी लद्दाख ( से सटी एलएसी पर भारत और चीन (India-China)की वायुसेनाओं के बीच जबरदस्त तनातनी चल रही है.

36 में से 35 राफेल पहुंच गए हैं भारत

फ्रांस से लिए 36 राफेल लड़ाकू विमानों में से 35 भारत पहुंच चुके हैं. इन ओमनी रोल फाइटर जेट (Omni Role Fighter Jet) की एक पूरी स्कावड्रन अंबाला में ऑपरेशन्ल हो चुकी है तो उत्तरी बंगाल के हाशिमारा (Hashimara)में अगले महीने आखिरी लड़ाकू विमान आना बाकी है. भारतीय वायुसेना की एक स्कावड्रन में 18 फाइटर जेट होते हैं. लेकिन राफेल के भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़े में शामिल होने से चीनी वायुसेना में हड़कंप मच गया है.

ल्हासा-नागरी गुंसा में चीन बना रहा मजबूत हैंगरचीनी वायुसेना राफेल के जद में आने वाले अपने एयरबेस के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में जुट गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी वायुसेना तिब्बत की राजधानी ल्हासा और दूसरे बड़े एयरबेस, नागरी गुंसा में बेहद ही मजबूत हैंगर (शेल्टर) तैयार कर रही है ताकि राफेल की बमबारी का कोई असर ना हो सके. जानकारी के मुताबिक, तिब्बत स्वायत्तत क्षेत्र के नागरी गुंसा में चीनी पीएलए-एयर फोर्स ने 12 नए बेहद ही मजबूत एयरक्रफ्ट शेल्टर तैयार किए है. वहीं राफेल के दूसरे स्कवाड्रन हाशिमारा की जद में आने वाले ल्हासा एयर बेस पर भी 24 नए शेल्टर तैयार किए हैं. इन शेल्टर (हैंगर) का इस्तेमाल फाइटर जेट को पार्क (खड़ा) करने के लिए किया जाता है. क्योंकि कभी भी लड़ाकू विमानों को एयरबेस पर खुले आसमान के नीचे नहीं खड़ा किया जाता है. ऐसा करने से विरोधी देश के फाइटर जेट आसानी से निशाना बना सकते हैं. इसीलिए इन हैंगर को बनाया जाता है. लेकिन राफेल जैसे आधुनिक फाइटर जेट के बम और मिसाइल इन हैंगर तक को भेद सकते हैं. इसीलिए चीनी वायुसेना इन हैंगर्स की मजबूती पर खासा ध्यान दे रही है.

हैंगर की दीवारें-गेट मजबूत बना रहा चीन

रिपोर्ट्स की मानें तो ल्हासा और नागरी गुंसा में चीनी वायुसेना ने जो हैंगर तैयार किए हैं उनकी दीवारें तीन मीटर से भी ज्यादा मोटी हैं. इन हैंगर्स के गेट भी सिंगल पीस हाई स्ट्रांग स्टील प्लेट से तैयार किए गए हैं. ये सब इसलिए किया जा रहा है ताकि 300-500 किलो के बम से इन हैंगर्स को सुरक्षित रखा जा सके. साथ ही किसी भी तरह की कोई क्रूज मिसाइल या फिर ऐसे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग बम से बचाया जा सके जैसाकि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान इस्तेमाल किए थे.

जानिए क्या हैं राफेल की खूबियां

गौरतलब है कि राफेल की कॉम्बेट रेंज करीब 1850 किलोमीटर है. रिफ्यूल या फिर एक्सट्रा-फ्यूल टैंक के साथ रफाल 3700 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. राफेल का वज़न 10,300 किलो है और ये अपने से दोगुना वजन तक बम और मिसाइल लेकर उडान भर सकता है. यानी 24500 किलो के कुल वजन के साथ राफेल टेकऑफ कर सकता है. राफेल की फायर पावर की बात करें तो वो उसे घातक बनाती हैं. उसकी एयर टू ग्राउंड यानि हवा से जमीन पर मार करने वाली लंबी दूरी की स्केल्प क्रूज मिसाइल का कोई सानी नहीं है. ये मिसाइल दुश्मन के बंकर, हैंगर, शेल्टर और इंफ्रास्ट्रक्चर को तबाह करने के लिए इस्तेमाल की जाती है.

राफेल की एयर टू एयर यानि हवा से हवा में मार करने वाली मिटयोर मिसाइल जो 150 किलोमीटर तक मार कर सकती है. करीब 100 किलोमीटर तो मिटयोर के एस्केप जोन में आता है यानि 100 किलोमीटर तक किसी भी टारगेट को गिरा सकती है. राफेल की इन खूबियों के चलते ही चीनी वायुसेना खासा परेशानी में है. राफेल की पहली स्कावड्रन, अंबाला से चीन के नागरी गुंसा का एरियल डिस्टेंस यानि हवाई दूरी करीब 360 किलोमीटर है. वहीं हाशिमारा से तिब्बत की राजधानी ल्हासा की दूरी है करीब 330 किलोमीटर. इसके अलावा हाशिमारा से चीन के शिघास्ते एयरबेस 290 किलोमीटर और गौंगर एयर बेस की दूरी 320 किलोमीटर है.के राफेल फाइटर जेट्स से चीनी वायुसेना (Chinese Air Force) सकते में है. राफेल के खौफ से चीनी वायुसेना एलएसी (LAC)के करीब एयर बेस (Airbase) पर ऐसे नए हैंगर तैयार कर रही है जिनपर 500 किलो तक के बम, क्रूज मिसाइल (Cruise Missile)और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग बम (Ground Penetrating Bomb) से भी कोई नुकसान ना हो सके. जानकारी के मुताबिक, चीन ऐसा राफेल के हमलों से बचने के लिए कर रहा है. ये रिपोर्ट्स ऐसे समय में सामने आई हैं जब पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) से सटी एलएसी पर भारत और चीन (India-China)की वायुसेनाओं के बीच जबरदस्त तनातनी चल रही है.

36 में से 35 राफेल पहुंच गए हैं भारत
फ्रांस से लिए 36 राफेल लड़ाकू विमानों में से 35 भारत पहुंच चुके हैं. इन ओमनी रोल फाइटर जेट (Omni Role Fighter Jet) की एक पूरी स्कावड्रन अंबाला में ऑपरेशन्ल हो चुकी है तो उत्तरी बंगाल के हाशिमारा (Hashimara)में अगले महीने आखिरी लड़ाकू विमान आना बाकी है. भारतीय वायुसेना की एक स्कावड्रन में 18 फाइटर जेट होते हैं. लेकिन राफेल के भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़े में शामिल होने से चीनी वायुसेना में हड़कंप मच गया है.
ल्हासा-नागरी गुंसा में चीन बना रहा मजबूत हैंगर
चीनी वायुसेना राफेल के जद में आने वाले अपने एयरबेस के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में जुट गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी वायुसेना तिब्बत की राजधानी ल्हासा और दूसरे बड़े एयरबेस, नागरी गुंसा में बेहद ही मजबूत हैंगर (शेल्टर) तैयार कर रही है ताकि राफेल की बमबारी का कोई असर ना हो सके. जानकारी के मुताबिक, तिब्बत स्वायत्तत क्षेत्र के नागरी गुंसा में चीनी पीएलए-एयर फोर्स ने 12 नए बेहद ही मजबूत एयरक्रफ्ट शेल्टर तैयार किए है. वहीं राफेल के दूसरे स्कवाड्रन हाशिमारा की जद में आने वाले ल्हासा एयर बेस पर भी 24 नए शेल्टर तैयार किए हैं. इन शेल्टर (हैंगर) का इस्तेमाल फाइटर जेट को पार्क (खड़ा) करने के लिए किया जाता है. क्योंकि कभी भी लड़ाकू विमानों को एयरबेस पर खुले आसमान के नीचे नहीं खड़ा किया जाता है. ऐसा करने से विरोधी देश के फाइटर जेट आसानी से निशाना बना सकते हैं. इसीलिए इन हैंगर को बनाया जाता है. लेकिन राफेल जैसे आधुनिक फाइटर जेट के बम और मिसाइल इन हैंगर तक को भेद सकते हैं. इसीलिए चीनी वायुसेना इन हैंगर्स की मजबूती पर खासा ध्यान दे रही है.
हैंगर की दीवारें-गेट मजबूत बना रहा चीन
रिपोर्ट्स की मानें तो ल्हासा और नागरी गुंसा में चीनी वायुसेना ने जो हैंगर तैयार किए हैं उनकी दीवारें तीन मीटर से भी ज्यादा मोटी हैं. इन हैंगर्स के गेट भी सिंगल पीस हाई स्ट्रांग स्टील प्लेट से तैयार किए गए हैं. ये सब इसलिए किया जा रहा है ताकि 300-500 किलो के बम से इन हैंगर्स को सुरक्षित रखा जा सके. साथ ही किसी भी तरह की कोई क्रूज मिसाइल या फिर ऐसे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग बम से बचाया जा सके जैसाकि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान इस्तेमाल किए थे.
जानिए क्या हैं राफेल की खूबियां
गौरतलब है कि राफेल की कॉम्बेट रेंज करीब 1850 किलोमीटर है. रिफ्यूल या फिर एक्सट्रा-फ्यूल टैंक के साथ रफाल 3700 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. राफेल का वज़न 10,300 किलो है और ये अपने से दोगुना वजन तक बम और मिसाइल लेकर उडान भर सकता है. यानी 24500 किलो के कुल वजन के साथ राफेल टेकऑफ कर सकता है. राफेल की फायर पावर की बात करें तो वो उसे घातक बनाती हैं. उसकी एयर टू ग्राउंड यानि हवा से जमीन पर मार करने वाली लंबी दूरी की स्केल्प क्रूज मिसाइल का कोई सानी नहीं है. ये मिसाइल दुश्मन के बंकर, हैंगर, शेल्टर और इंफ्रास्ट्रक्चर को तबाह करने के लिए इस्तेमाल की जाती है.
राफेल की एयर टू एयर यानि हवा से हवा में मार करने वाली मिटयोर मिसाइल जो 150 किलोमीटर तक मार कर सकती है. करीब 100 किलोमीटर तो मिटयोर के एस्केप जोन में आता है यानि 100 किलोमीटर तक किसी भी टारगेट को गिरा सकती है. राफेल की इन खूबियों के चलते ही चीनी वायुसेना खासा परेशानी में है. राफेल की पहली स्कावड्रन, अंबाला से चीन के नागरी गुंसा का एरियल डिस्टेंस यानि हवाई दूरी करीब 360 किलोमीटर है. वहीं हाशिमारा से तिब्बत की राजधानी ल्हासा की दूरी है करीब 330 किलोमीटर. इसके अलावा हाशिमारा से चीन के शिघास्ते एयरबेस 290 किलोमीटर और गौंगर एयर बेस की दूरी 320 किलोमीटर है.


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