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भारत से चिढ़ गया चीन, अब कही ये बड़ी बात

jantaserishta.com
6 Sep 2023 3:37 AM GMT
भारत से चिढ़ गया चीन, अब कही ये बड़ी बात
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नई दिल्ली: भारत जी-20 सम्मलेन को सफल और यादगार बनाने के लिए बड़े पैमाने पर कूटनीतिक तैयारियां कर रहा है. लेकिन भारत की हर कामयाबी को ईर्ष्या की नजर से देखने वाला हमारा पड़ोसी देश चीन इसे हजम नहीं कर पा रहा है. चीन ने इस सम्मेलन को कमतर दिखाने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग का दिल्ली दौरा ही रद्द कर दिया है. हालांकि इससे पहले इंडोनेशिया में जब जी-20 सम्मेलन हुआ था तो वहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहुंचे थे. लेकिन दिल्ली की बारी आने पर चीनी प्रशासन ने बहाने बनाने शुरू कर दिए हैं.
अब नई दिल्ली में 9-10 सितंबर को होने वाले इस सम्मेलन में चीन का प्रतिनिधित्व वहां के प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक बयान जारी कर कहा कि शी जिनपिंग नई दिल्ली में होने वाले 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे. हालांकि, माओ ने शी जिनपिंग के भारत न आने का कोई कारण नहीं बताया.
शी जिनपिंग के भारत न आने के फैसले को दोनों देशों के बीच जारी तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. बता दें कि हाल ही में चीन ने अपने देश का नक्शा जारी किया था, जिसमें उसके विस्तारवादी नीति की झलक नीति मिली थी. इस नक्शे में चीन ने अक्साई चिन के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश को भी अपना हिस्सा बताया था. भारत ने इस नक्शे को लेकर चीन को फटकार लगाई थी. यूं तो भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लंबा है लेकिन इस हालिया तनाव के बाद चीन ने कहा कि उसके राष्ट्रपति जी-20 में शामिल होने भारत नहीं आ रहे हैं.
इसके बाद मंगलवार को जब चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से पूछा गया कि क्या राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भारत नहीं आना और उनके बजाय प्रधानमंत्री ली कियांग को नई दिल्ली भेजना ये दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है? इस प्रश्न का माओ निंग ने गोल-मोल जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि चीन-भारत के संबंध कुल मिलाकर स्थिर रहे हैं और दोनों पक्षों ने "विभिन्न स्तरों पर बातचीत और संवाद को बनाए रखा है".
गौरतलब है कि चीनी विदेश मंत्रालय ने ये स्पष्ट नहीं कहा कि दोनों देशों के रिश्ते सामान्य और मधुर हैं. प्रवक्ता माओ निंग ने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का जिक्र किए बिना कहा कि "चीन-भारत संबंधों में निरंतर सुधार और विकास दोनों देशों और दोनों ओर की जनता की साझा हितों का पोषण करती है. हम द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर बनाने और आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ काम करने के लिए तैयार हैं."
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता से जब जी-20 सम्मेलन पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि चीन हमेशा से ऐसे सामूहिक गतिविधियों को उच्च महत्व देता है और प्रासंगिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेता है. माओ निंग ने कहा, "हम इस साल के शिखर सम्मेलन की मेजबानी में भारत का समर्थन करते हैं और जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सभी पक्षों के साथ काम करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए जी-20 एक अहम फोरम है.
चीन भले ही जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत की मेजबानी को समर्थन देने का दावा करता हो, लेकिन शी जिनपिंग को नहीं भेजकर चीन ने अपने छिपे हुए मंसूबे को उजागर कर दिया है. चीनी की राजनीतिक व्यवस्था में राष्ट्रपति ही सर्वेसर्वा होता है. शी जिनपिंग चीनी गणराज्य के न सिर्फ राष्ट्रपति हैं बल्कि वे चीन की पीपुल्स आर्मी के सुप्रीम कमांडर भी हैं और चीन से जुड़े सारे फैसले उनके ही टेबल से होकर गुजरते हैं. ऐसे में जी-20 में ली कियांग की भागीदारी महज सांकेतिक रह जाती है.
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