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चीन को लगी मिर्ची, भारत में ताइवान के विदेश मंत्री का ये कदम पसंद नहीं आया
jantaserishta.com
3 March 2024 5:57 AM GMT
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फाइल फोटो
नई दिल्ली: भारत में चीनी दूतावास ने ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू के एक भारतीय मीडिया चैनल के साथ इंटरव्यू को लेकर बयान जारी किया है. इसमें आरोप लगाया गया है कि चैनल ने विदेश मंत्री को 'ताइवान की स्वतंत्रता' की वकालत करने के लिए मंच प्रदान किया. इसके जवाब में ताइवान की ताइपे ने कहा कि भारत और ताइवान आजाद और जिंदा पत्रकारिता वाले लोकतंत्र हैं.
गौर करने वाली बात यह है कि भारत, ताइवान के संबंध में 'वन चाइना पॉलिसी' का पालन करता है और ताइपे के साथ उसके औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं.
चीन के दूतावास द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है, "29 फरवरी 2024 को, एक खास भारतीय टीवी ने ताइवान के विदेशी मामलों के कार्यालय के प्रमुख जोसेफ वू के साथ एक साक्षात्कार प्रसारित किया, जिसने उन्हें 'ताइवान की स्वतंत्रता' की वकालत करने और गलत जानकारी प्रसारित करने के लिए मंच प्रदान किया. यह 'वन चाइना पॉलिसी' का गंभीर रूप से उल्लंघन है और पूरी तरह अस्वीकार्य है.
यह 'वन-चाइना सिद्धांत' को इस तरह से परिभाषित किया कि 'दुनिया में केवल एक चीन है, ताइवान चीन का हिस्सा है, और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र कानूनी सरकार है."
इसके बाद जवाब में, ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'न तो भारत और न ही ताइवान पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) का हिस्सा है और हम इसकी कठपुतली नहीं हैं. हम दोनों आजाद और जिंदा पत्रकारिता वाले लोकतंत्र हैं, जिन्हें निर्देशित नहीं किया जा सकता है.
ताइपे ने बीजिंग से कहा कि 'पड़ोसियों को धमकाने' के बजाय वह अपनी 'आर्थिक मंदी के बारे में चिंता करे. चीन और ताइवान का रिश्ता अलग है. ताइवान चीन के दक्षिण पूर्वी तट से 100 मील यानी लगभग 160 किलोमीटर दूर स्थित छोटा सा द्वीप है. ताइवान 1949 से खुद को आजाद मुल्क मान रहा है लेकिन अभी तक दुनिया के 14 देशों ने ही उसे आजाद देश के तौर पर मान्यता दी है और उसके साथ डिप्लोमैटिक रिलेशन बनाए हैं.
चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा. वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है. उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है.
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