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13वें राउंड की बातचीत में चीन 'चित', माना भारत का लोहा

jantaserishta.com
11 Oct 2021 3:18 AM GMT
13वें राउंड की बातचीत में चीन चित, माना भारत का लोहा
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नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच रविवार को 13वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई। चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने पीएलए वेस्टर्न थिएटर कमांड के हवाले से कहा है कि इस दौरान भारत के द्वारा अनुचित और अवास्तविक मांगों पर जोर दिया गया। उन्होंने भारत पर बातचीत में मुश्किलें पैदा करने का भी आरोप लगाया है।

आपको बता दें कि साढ़े आठ घंटे चली बैठक में भारत की तरफ से चीन से दो टूक कहा गया है कि वह बाकी बचे टकराव वाले सभी स्थानों से भी पीछे हटे। और मई 2020 से पूर्व की स्थिति बहाल करे। उच्च पदस्थ सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
सेना के सूत्रों ने बताया कि वार्ता चीनी क्षेत्र मोल्डो में रविवार सुबह 10.30 बजे शुरू हुई और शाम 7 बजे तक चली। इसमें हॉट स्प्रिंग, डेप्सांग आदि में टकराव वाले बिन्दुओं को लेकर चर्चा हुई है जिस पर भारत की तरफ से तत्काल चीनी सेना से पीछे हटने और पूर्व की स्थिति बहाल करने पर जोर दिया गया। दरअसल, पैंगोग और गोगरा से चीनी सेनाएं पहले ही हट चुकी हैं लेकिन हॉट स्प्रिंग समेत कई क्षेत्रों में वह तय स्थान से आगे हैं।
लगभग तीन हफ्ते पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में बाकी के मुद्दों के जल्द समाधान के लिए दोनों पक्षों को काम करना होगा। यह वार्ता इसी पृष्ठभूमि में हो रही है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने 16 सितंबर को दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी।
भारत की तरफ से वार्ता का नेतृत्व लेफ्टनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं, जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर भी हैं। पिछली कई वार्ताओं का नेतृत्व वह कर चुके हैं। दरअसल, यह वार्ता इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल में चीन ने उत्तराखंड के बाराहोती और अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भी आक्रामकता दिखाने की कोशिश की है, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया था। भारत ने चीनी सेना की हरकतों पर सख्त रुख अपनाया हुआ है। इसलिए भारतीय पक्ष ने वार्ता के दौरान भी कड़ा रुख अख्तियार किया है।
इससे पहले भारत और चीन के बीच 31 जुलाई को 12वें दौर की वार्ता हुई थी। कुछ दिन बाद दोनों देशों की सेनाओं ने गोगरा से अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी और इसे क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की बहाली की दिशा में एक बड़ा एवं उल्लेखनीय कदम माना गया था। इससे पूर्व सेना प्रमुख एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन की ओर से सैन्य जमावड़ा और व्यापक पैमाने पर तैनाती अगर जारी रहती है तो भारतीय सेना भी अपनी तरफ अपनी मौजूदगी बनाए रखेगी जो पीएलए के समान ही है।


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