भारत
अरुणाचल के पास होकर तिब्बत के इलाके में चीन ने बनाया हाइवे, भारत के लिए मुफीद नहीं है ये प्रोजेक्ट
Deepa Sahu
20 May 2021 5:59 PM GMT
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चीन ने एक ऐसी सड़क बना डाली है जो भारतीय सीमा के निकट खत्म होती है।
चीन ने एक ऐसी सड़क बना डाली है जो भारतीय सीमा के निकट खत्म होती है। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से शुरू होकर अरुणाचल के पास लगभग मैकमहोन रेखा तक आने वाली यह रोड भारत के लिए एक नई चुनौती जैसी है। यह सड़क ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और दुनिया की सबसे गहरी घाटियों वाले यारलंग ज़ांग्बो ग्रैंड कैनियन को चीरते हुए गुजरती है और भारत सीमा के पास बाइबंग तक आती है। सड़क अपने रास्ते में एक दो किलोमीटर लंबी सुरंग से भी गुजरती है जो पहाड़ को काट कर बनाई गई है।
यह जगह भारतीय गांव बिशिंग के पास है। बिशिंग अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग जिले में है। गेलिंग सर्किल का हिस्सा है और मैकमहोन लाइन को लगभग छूता है। मैकमहोन लाइन ही भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) है। उल्लेखनीय है कि चीन मैकमहोन लाइन को विधिक मान्यता नहीं देता। चीन की यह सड़क उसकी महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। चीन अरसे से चाहता रहा है कि वह पूरी की पूरी एलएसी, वास्तविक नियंत्रण रेखा तक सड़कों और सुरंगों का जाल बिछा दे ताकि चीन के दूरस्थ शहर और हवाई अड्डे इन स्थानों से जोड़े जा सकें। इस सड़क के बनने से तिब्बत के दूरस्थ जिले नाइंग से सीमा की दूरी आठ घंटे कम हो गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सड़क चीन को यारलंग जांग्पो हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट के लिए सर्वेक्षण आदि में भी मदद करेगी। चीन इस प्रोजेक्ट पर बहुत दिनों से विचार कर रहा है। यारलंग ज़ांग्पो नदी ब्रह्मपुत्र का चीनी नाम है। इस पर बांध बनने से नीचे के लोग यानी भारतवासियों का प्रभावित होना लाजिमी है। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से निकलने वाली यह नदी अरुणाचल में प्रवेश करने पर सियांग नाम से जानी जाती है फिर असम में इसी का नाम ब्रह्मपुत्र हो जाता है। आगे यह नदी बांग्लादेश चली जाती है।
उल्लेखनीय है कि रक्षा विशेषज्ञ पिछले कुछ दिनों से आगाह करते रहे हैं कि कोरोना काल का फायदा उठा कर चीनी सीमा पर खुद को मजबूत न कर ले। इस तरह का एक ट्वीट भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी किया था।
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